झारखंड में नौकरी का खेला: पहले गृह विभाग में 40 हजार पद गये, अब शिक्षकों के 8900 पदों पर चली कैची, जानिये युवाओं के लिए कितनी है खतरे की घंटी

Job game in Jharkhand: First 40 thousand posts were lost in the Home Department, now 8900 posts of teachers are cut, know how alarming it is for the youth

रांची: झारखंड में शिक्षकों के पद लगातार कम हो रहे हैं। पूर्व के स्वीकृत पदों की तुलना में शिक्षकों के पदों के प्रत्यर्पण की मंजूरी ने सरकार की मंशा पर अब गंभीर सवाल खड़े कर दिये हैं। ये उन युवाओं के लिए भी झटका है, जो झारखंड में शिक्षक बनने की उम्मीद बांधे बैठे थे।

 

दरअसल हेमंत सरकार ने शिक्षकों की नियुक्ति के बदले आचार्यों की नियुक्ति का फैसला लिया था, पूर्व के शिक्षकों के वेतन की तुलना में आचार्यों के वेतन का कम था, साथ ही उनपर पर और कई नियम और शर्ते लागू थी, तो यही उम्मीद थी कि वेतन कम कर सरकार ज्यादा पदों को मंजूर करेगी, लेकिन कल के फैसले ने युवाओं के साथ विपक्षी दलों को भी हैरान कर दिया है।

 

झारखंड सरकार के इस फैसले ने राज्य में शिक्षित बेरोज़गार युवाओं को झटका दिया है। राज्य मंत्रिपरिषद ने माध्यमिक (TGT) और प्लस-2 (PGT) विद्यालयों के कुल 8,900 शिक्षकों के पदों को समाप्त करने की मंज़ूरी दे दी है।

 

यह निर्णय मंगलवार को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में लिया गया। जहां एक ओर सरकार का कहना है कि यह कदम नई तकनीकी और आवश्यकता आधारित नियुक्तियों की दिशा में उठाया गया है, वहीं विपक्ष और शिक्षित बेरोज़गारों में भारी नाराज़गी देखने को मिल रही है।

 

सरकार की दलील: पुराने पद खत्म, नए तकनीकी पद सृजित

सरकार के मुताबिक, टीजीटी और पीजीटी के जो पद हटाए गए हैं, वे स्वाभाविक रिक्तियों (सेवानिवृत्ति आदि) के तहत स्वतः समाप्त माने गए हैं। इसके बदले सरकार ने 510 प्लस-2 विद्यालयों में 1373 “माध्यमिक आचार्य” पदों के सृजन की घोषणा की है, जिन पर जल्द बहाली की जाएगी।

 

इन नए पदों में आधुनिक विषयों और क्षेत्रीय भाषाओं को तरजीह दी गई है:

• कम्प्यूटर साइंस – 131 पद

• AI और कोडिंग – 54 पद

• साइबर सिक्योरिटी और डेटा साइंस – 54 पद

• अप्लाइड इंग्लिश – 54 पद

• क्षेत्रीय भाषाएं (संथाली, बंगला, हो, मुंडारी, आदि) – 300+ पद

• विशेष आचार्य – 150 पद

 

विपक्ष का हमला: “यह बेरोज़गारों के भविष्य का गला घोंटना है”

 

प्रदेश भाजपा अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने इस फैसले पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि जब राज्य में पहले से ही लाखों शिक्षक पद रिक्त हैं, तब 8,900 पदों को समाप्त करना शिक्षित युवाओं के साथ अन्याय है।

 

उन्होंने लिखा –

“यह फैसला उन हजारों युवाओं की उम्मीदों का अंत है जो वर्षों से प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे थे। सरकार इस निर्णय को अविलंब वापस ले।”

 

जयराम महतो ने भी विधानसभा सत्र के दौरान सरकार को पहले ही आगाह किया था कि वह लगातार प्रशासनिक और शैक्षणिक पदों को खत्म कर रही है।

 

उन्होंने कहा,

“गृह विभाग में 40,000 पद पहले ही खत्म किए जा चुके हैं, अब शिक्षा तंत्र की बारी है।”

 

एक ओर राज्य सरकार तकनीक आधारित और आधुनिक शिक्षा प्रणाली की ओर बढ़ने की बात कर रही है, वहीं दूसरी ओर पारंपरिक शिक्षक पदों को खत्म करने से शिक्षित बेरोज़गारों और छात्रों के भविष्य पर संकट मंडराता दिख रहा है।

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