झारखंड: नक्सलियों को ‘कंगाल’ करने की प्लानिंग तैयार, सुरक्षा बलों के इस कदम से माओवादियों में मचेगा हड़कंप, जानिये कैसे दाने-दाने को मोहताज हो जायेंगे माओवादी

Jharkhand: Planning to make Naxalites 'ruinous' is ready, this step of security forces will create panic among Maoists, know how Maoists will become dependent on every grain

Jharkhand Naxal Big News : नक्सलियों पर अब झारखंड में बड़ा प्रहार होने वाला है। झारखंड में नक्सलियों की नक्सलियों को पर नकेल कसने के लिए एक तरफ जहां आपरेशंस को तेज करने का फैसला लिया गया है, तो वहीं दूसरी तरफ नक्सलियों की संपत्ति को सीज करने की भी प्लानिंग तैयार की गयी है।

 

पलामू प्रमंडल में पुलिस और सीआरपीएफ की उच्चस्तरीय बैठक के बाद निर्णय लिया गया है कि टॉप इनामी नक्सल कमांडरों और उनके परिजनों की संपत्ति की पहचान कर जब्त करने की कार्रवाई की जाएगी। यूएपीए कानून के तहत यह सख्त कदम उठाया जाएगा।

 

जानकारी के मुताबिक पलामू प्रमंडल के पलामू, गढ़वा और लातेहार जिलों में सक्रिय टॉप इनामी नक्सल कमांडरों और उनके परिजनों-रिश्तेदारों की संपत्ति को जब्त करने की प्रक्रिया शुरू भी कर दी गई है। जिसके तहत नक्सल कमांडरों की अवैध कमाई से अर्जित संपत्ति पर अब सीधा प्रहार किया जाएगा।

 

जानकारी के मुताबिक यूएपीए (Unlawful Activities Prevention Act) की धाराओं में कार्रवाई करते हुए संपत्तियों को जब्त किया जाएगा। यह कदम न केवल माओवादियों की आर्थिक कमर तोड़ेगा बल्कि उन्हें संगठन से बाहर आने के लिए भी मजबूर करेगा।

 

अब तक के चिन्हित टॉप इनामी नक्सलियों में शामिल हैं:

• नितेश यादव उर्फ इरफान (भाकपा माओवादी, इनामी ₹15 लाख)

• रविंद्र गंझू, मनोहर गंझू (₹10 लाख के इनामी)

• संजय यादव उर्फ संजय गोदराम, मृत्युंजय भुईयां

• शशिकांत गंझू (TSPC), पप्पू लोहरा (JJMP)

• मनीष यादव, शिव सिंह उर्फ कईल, पंकज कोरवा

• मुखदेव यादव (TSPC), रविंद्र यादव (JJMP)

• प्रभात गंझू (TSPC), कुंदन यादव, अभिजीत यादव आदि।

 

इन सभी के खिलाफ संपत्ति का आकलन कार्य जारी है, और जिनकी संपत्ति माओवादी गतिविधियों से अर्जित पाई जा रही है, उन्हें कानूनी रूप से जब्त किया जा रहा है।इससे पहले भी झारखंड पुलिस ने पलामू, गढ़वा और लातेहार में कई शीर्ष नक्सलियों की संपत्तियों को जब्त किया था। यह रणनीति नक्सलियों की रसद और नेटवर्क को आर्थिक रूप से कमजोर करने की दिशा में बड़ा कदम मानी जा रही है।

 

पुलिस और सुरक्षा एजेंसियां मानती हैं कि यदि नक्सलियों के आर्थिक स्रोतों पर चोट की जाए, तो उनका नेटवर्क खुद ब खुद बिखरने लगेगा। यही कारण है कि अब परिजनों और करीबी रिश्तेदारों की संपत्तियों की भी जांच की जा रही है, ताकि माओवादियों द्वारा उनके नाम पर बनाई गई संपत्तियों का भी खुलासा हो सके।

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