धनबाद: झारखंड के शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो ने कहा है कि पारा शिक्षकों को वेतनमान नहीं दिया जा सकता है। इसमें तकनीकी परेशानी आ रही है। पारा शिक्षकों की नियुक्ति में आरक्षण रोस्टर का पालन नहीं किया गया है। इधर मंत्री के बयान से राज्य के 62 हजार शिक्षक भड़के हुए हैं।

मंत्री के बयान पर नाराजगी जताते हुए पारा शिक्षक संघर्ष मोर्चा ने कहा है कि मीडिया चैनलों के माध्यम से पारा शिक्षकों के वेतनमान के सवाल पर मंत्री द्वारा दिया गया बयान काफी अशोभनीय एवं संकुचित मानसिकता वाला है। यह पारा शिक्षकों के उज्जवल भविष्य की दिशा में अनिष्टकारी एवं घातक सिद्ध हो सकता है। उन्होंने कहा कि वेतनमान पारा शिक्षकों का कर्म सिद्ध अधिकार है और उसे कोई नहीं रोक सकता है। जब शिक्षा मंत्री जानलेवा बीमारी से ग्रस्त होकर जीवन और मौत से जूझ रहे थे, तब पारा शिक्षकों ने काफी दिलो जान से पूजा-अर्चना और हवन कर सत्यवान की तरह यमराज से लड़कर उनकी जिंदगी वापस कराई। अब आज यह दिन देखना पड़ रहा है।

उन्होंने कहा आज शिक्षा मंत्री कहते है कि पारा शिक्षकों की बहाली रोस्टर से हटकर हुई है। आरक्षण नियमों का पालन नहीं हुआ है। वेतनमान देने में तकनीकी अड़चनें आ रही है। यह समझ से परे है। झारखंड के पारा शिक्षकों का शिक्षा मंत्री से सवाल है कि अगर बहाली में नियमों की अनदेखी की गई है तो कुछ पारा शिक्षक आज सरकारी शिक्षक कैसे बन गए हैं? शिक्षा मंत्री आज पारित नियमावली को रद्द करते हुए बड़े हुए मानदेय को वापस लेने की धमकी देते हैं तो सबसे पहले जो सरकारी शिक्षक बन गए हैं उनकी नियुक्ति रद्द करें। उनकी भी बहाली तो गलत नियमों से हटकर हुई है। पहले इनकी बालियों को निरस्त करें, उसके बाद पारा शिक्षकों की नियमावली को रद्द करें।

शिक्षा मंत्री का मानसिक संतुलन बिगड़ा

शिक्षा मंत्री का बयान बिगड़े हुए मानसिक संतुलन का परिचायक है। ऐसा घटिया बयान का राज्य के तमाम सहायक अध्यापक निंदा करते हैं। मंत्री से आग्रह है कि यदि आपकी सरकार पारा शिक्षकों को वेतनमान नहीं दे सकती है तो स्पष्ट शब्दों में बता दें।

अपने वादे से मुकर रही सरकार

हेमंत सोरेन की सरकार ने तथा शिक्षा मंत्री ने भी वादा किया था कि हमारी सरकार बनते ही पारा शिक्षकों को स्थायीकरण करते हुए वेतनमान देंगे। फिर आज अपने वायदे से मुकरना न्यायोचित नहीं है। किसी भी परिस्थिति में राज्य के तमाम सहायक अध्यापकों को वेतनमान देना होगा। अगर 14 नवंबर तक वेतनमान की मांग पूरी नहीं होगी तो 15 नवंबर को फिर सूबे के तमाम 62,000 सहायक अध्यापकों का हुजूम एक बड़े आंदोलन के लिए रांची कूच करेगा। इसकी सारी जिम्मेवारी झारखंड सरकार की होगी। वेतनमान के लिए आंदोलन का कारवां कभी रुक नहीं सकता। जब तक वेतनमान लागू नहीं होता है, पारा शिक्षकों का संघर्ष जारी रहेगा। इसलिए राज्य के तमाम सहायक अध्यापकों से पुरजोर अपील है कि अपने उज्जवल भविष्य के लिए एक मंच पर आकर आंदोलन का शंखनाद करें, वरना सरकार के रवैए से पारा शिक्षकों का कल्याण संभव नहीं है।आंदोलन करते-करते जिन्दगी समाप्त हो जाएगी और कुछ भी नहीं मिल पाएगा।

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