गढ़वा । भवनाथपुर में बेटा ही पिता की चिता को मुखाग्नि देता है ऐसी रूढ़िवादी परंपरा मंगलवार को टूटती नजर आई जब मृत पारा शिक्षक की इकलौती बेटी ने बेटा की तरह अपने पिता को मुखाग्नि दी।यही नहीं मरणोपरांत होने वाली सभी संस्कार को भी विधिवत पूर्ण करने की प्रतिबद्धता दुहराई।

बता दें की हरिहरपुर मध्य विद्यालय के पारा शिक्षक आशेशवर सिंह कि सोमवार को हृदयाघात से उनकी मौत हो गई थी।मौत के बाद अंतिम संस्कार हरिहरपुर सोन नदी के तट पर किया गया। पारा शिक्षक की पुत्री आशतिका वर्तमान में दिल्ली के जेएनयू की छात्रा है।आशतिका सिंह ने सभी रूढ़िवादी परंपरा को तोड़ते हुए अपने पिता को मुखाग्नि दी, पिता को कंधा लगाते हुए श्मशान घाट तक गई। जो एक बेटे की तरह फर्ज पूरा किया।

इतना ही नहीं पिता के मरणोपरांत सभी संस्कार खुद पूरा करेंगी। इस वाक्या से मौके पर उपस्थित सभी लोगों के दिल पसीज गया। बेटी की तारीफ करते हुए कुछ लोगों ने रूढ़िवादी परंपरा का हवाला देकर गलत भी बताया।लेकिन आशतिका सिंह में कहा कि बेटा बेटी में कोई फर्क नहीं है मैं अपने पापा का सभी संस्कार पूरा करूंगी।
उल्लेखनीय है कि आशेशवर सिंह के एक पुत्र और एक पुत्री थे लेकिन 12 वर्ष पूर्व बीमारी से पुत्र इस दुनिया से चल बसा और वर्तमान में सिर्फ एक पुत्री बची है।

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