नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने न्यू पेंशन स्कीम (NPS) के रिव्यू के लिए कमेटी बनाने का ऐलान किया है. देश में लंबे समय से पुरानी पेंशन स्कीम (OPS) और नई पेंशन स्कीम को लेकर केंद्र सरकार और विपक्ष के बीच खींचतान चल रही है. गैर-बीजेपी राज्यों में पुरानी पेंशन स्कीम अहम मुद्दा रही है. कांग्रेस ने हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनाव के दौरान पुरानी पेंशन स्कीम को बड़ा मुद्दा बनाया था. कांग्रेस जब जीतकर सत्ता में आई, तो उसने ओल्ड पेंशन स्कीम को लागू करने का ऐलान किया।

केंद्र सरकार रुख इस स्कीम को लेकर हमेशा विपक्ष से उलट रहा है. मोदी सरकार इसे लागू करने के पक्ष में अभी तक नजर नहीं आई है. लेकिन अब सरकार ने नई पेंशन स्कीम को रिव्यू करने के लिए कमेटी गठित करने का ऐलान किया है. तो ऐसे में आइए समझ लेते हैं कि नई और पुरानी पेंशन स्कीम अंतर क्या है।

कब से लागू है नई पेंशन स्कीम ?

देश में नई पेंशन स्कीम एक जनवरी 2004 से लागू है. पुरानी और नई पेंशन स्कीम में काफी अंतर है. दोनों के कुछ फायदे और नुकसान हैं. पुरानी पेंशन स्कीम के तहत रकम का भुगतान सरकार के खजाने से होता है. वहीं, पुरानी पेंशन स्कीम में पेंशन के लिए कर्मचारियों के वेतन से कोई पैसा कटने का प्रावधान नहीं है।

नई और पुरानी पेंशन योजना में क्या है अंतर

नई और पुरानी, दोनों पेंशन के कुछ फायदे और नुकसान हैं। पुरानी पेंशन योजना में रिटायरमेंट के समय कर्मचारी के अंतिम वेतन की आधी राशि पेंशन के रूप में दी जाती है। पुरानी स्कीम में पेंशन कर्मचारी की आखिरी बेसिक सैलरी और महंगाई के आंकड़ों से तय की जाती है।

पुरानी पेंशन स्कीम में कर्मचारियों के वेतन से पैसा नहीं काटा जाता। पुरानी पेंशन योजना में कर्मचारी को दी जाने वाली पेंशन का भुगतान सरकार की ट्रेजरी के माध्यम से होता है। इसके अतिरिक्त इस पेंशन स्कीम में 20 लाख रुपये तक ग्रेच्युटी की रकम मिलती है। रिटायर्ड कर्मचारी की मृत्यु होने पर पेंशन का पैसा उसके परिजनों को मिलने लगता है।

पुरानी पेंशन स्कीम में हर 6 महीने बाद कर्मचारियों को DA डीए दिए जाने का प्रावधान है। इसके अलावा जब-जब सरकार वेतन आयोग का गठन करती है, पेंशन भी रिवाइज हो जाती है।

क्या सरकारी खजाने पर बढ़ेगा बोझ ?

केंद्र सरकार अब तक कहती रही है कि ओल्ड पेंशन स्कीम सरकार पर भारी बोझ डालती है. यही नहीं, पुरानी पेंशन स्कीम से सरकारी खजाने पर ज्यादा बोझ बढता है. रिजर्व बैंक ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा था कि ओल्ड पेंशन स्कीम को लागू करने से राजकोषीय संसाधनों पर अधिक दबाव पड़ेगा और राज्यों की सेविंग पर नेगेटिव प्रभाव पडेगा।

नई पेंशन स्कीम में क्या है खास

NPS में कर्मचारियों की सैलरी से 10% की कटौती की जाती है, जबकि पुरानी पेंशन योजना में सैलरी से कोई कटौती नहीं होती थी। एक तरफ जहां पुरानी पेंशन योजना में GPF की सुविधा होती थी, वहीं नई स्कीम में इसकी सुविधा नहीं है। पुरानी पेंशन स्कीम में रिटायर होने के समय सैलरी की आधी राशि पेंशन के रूप में मिलती थी, जबकि नई पेंशन योजना में आपको कितनी पेंशन मिलेगी, इसकी कोई गारंटी नहीं

है।

दोनों में सबसे बड़ा अंतर यह है कि पुरानी पेंशन योजना एक सुरक्षित योजना है, जिसका भुगतान सरकारी खजाने से किया जाता है। नई पेंशन योजना शेयर बाजार पर आधारित है, जिसमें आपके द्वारा एनपीएस में लगाए गए पैसे को शेयर बाजार में लगाया जाता है, जबकि पुरानी पेंशन योजना में ऐसा कोई प्रावधान नहीं था। अगर बाजार में मंदी रही तो एनपीस पर मिलने वाला रिटर्न कम भी हो सकता है।

हर खबर आप तक सबसे सच्ची और सबसे पक्की पहुंचे। ब्रेकिंग खबरें, फिर चाहे वो राजनीति...