नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा से मिलेगा विशेष लाभ…जानें पूजा विधि…मंत्र और प्रिय भोग का महत्व…और कैसे करें मां की आराधना
Worshiping Maa Brahmacharini on the second day of Navratri will bring special benefits. Learn the method of worship, the importance of mantras and favorite offerings, and how to worship the Mother.

शारदीय नवरात्रि के नौ पावन दिनों में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की आराधना की जाती है। प्रत्येक दिन माता के अलग रूप की पूजा का विधान है।
नवरात्रि का दूसरा दिन मां ब्रह्मचारिणी को समर्पित होता है। यह रूप साधना, तपस्या और आत्मबल का प्रतीक है। पुराणों के अनुसार पार्वतीजी ने शिवजी को पति रूप में पाने के लिए घोर तप किया था। उसी तपस्या की स्मृति में ब्रह्मचारिणी की उपासना होती है। इस दिन साधक के भीतर धैर्य, ऊर्जा और मानसिक शक्ति का संचार होता है।
पूजा विधि
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स्नान और स्वच्छ वस्त्र: सूर्योदय के बाद स्नान कर साफ वस्त्र पहनें।
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स्थल की तैयारी: पूजा स्थल पर लाल/पीले कपड़े से आसन सजाएं। माता की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें।
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संकल्प और मंत्र जप: दीपक जलाएं, गंगाजल छिड़कें और मंत्र “ॐ ब्रह्मचारिण्यै नमः” का जप करें।
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पूजा सामग्री अर्पित करें: चंदन, कुमकुम, पुष्प, मिश्री, गुड़, शहद या पंचामृत अर्पित करें।
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आरती: धूपबत्ती और कपूर से आरती करें।
मुख्य मंत्र:
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“ॐ देवी ब्रह्मचारिण्यै नमः”
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या
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“दधाना कर पद्माभ्याम् अक्षमालाकमण्डलु। देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा॥”
विशेष उपाय
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गंगाजल में मिश्री डालकर माता ब्रह्मचारिणी को अर्पित करें।
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पूजा के बाद किसी कन्या को मिश्री, खीर या दूध का प्रसाद दें।
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यह उपाय धैर्य, बुद्धि और मानसिक शक्ति बढ़ाने में मदद करता है।
मां ब्रह्मचारिणी की कथा
पार्वतीजी ने भगवान शिव को पाने के लिए वर्षों तक कठिन व्रत और तपस्या की। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर शिवजी ने उन्हें पत्नी रूप में स्वीकार किया। इसलिए ब्रह्मचारिणी की पूजा साधक को इच्छित वरदान और कठिन परिस्थितियों का सामना करने की शक्ति देती है।