जमशेदपुर हिंदी दिवस समारोह का शुभारंभ दीप प्रज्वलन के द्वारा किया गया जिसमें मुख्य अतिथि मणि सरीन, शरद सरीन, विशिष्ट अतिथि शिप्रा मिश्रा, बी चंद्रशेखर चेयर पर्सन डी.बी.एम.एस कॉलेज ट्रस्टी प्रेसिडेंट डी.बी.एम.एस कॉलेज ऑफ जमशेदपुर श्रीप्रिया धर्मराजन सचिव तमिल सेल्वी, संयुक्त सचिव डॉक्टर जूही समर्पिता, प्राचार्या डॉक्टर मोनिका उप्पल उप प्राचार्य आदि ने संयुक्त रूप से किया।

इसके पश्चात स्वागत संबोधन डॉ अरुण सज्जन हिंदी के सहायक प्राध्यापक ने प्रस्तुत किया। उन्होंने हिंदी को ध्वन्यात्मक और भावनात्मक भाषा के रूप में इसे सब को अपनाने और प्रयोग करने की बात की। तत्पश्चात गीत प्रस्तुति बहुत ही मनोरम और आकर्षक रूप में अमृता चौधरी, संगीत शिक्षिका एवं बी.एड की छात्राएं निपुण निशा कुमारी, कोमल कुमारी, अनुजा लकरा, विनोती मांझी सोनीमां घटक, सुष्मिता दत्ता, दीक्षा सिंह, आदि ने संयुक्त रूप से प्रस्तुत किया। इसके बाद विभिन्न महाविद्यालयों के प्रतियोगियों के द्वारा कई साहित्यिक प्रतियोगिताओं में सहभागिता हुई। 

 प्रथम काव्य पाठ प्रतियोगिता  संपन्न हुआ।  जिसके निर्णायक थी डॉ मनीला कुमारी हिंदी की प्रसिद्ध कवयित्री और लेखिका। प्रस्तुत हिंदी दिवस समारोह में कोल्हान विश्वविद्यालय के सात महाविद्यालयों के छात्र एवं छात्राएं अपनी सहभागिता प्रस्तुत  की। इस काव्य पाठ प्रतियोगिता के बाद डी.बी.एम.एस कॉलेज में आयोजित सेमिनार जिसका विषय जनजातीय संस्कृति और सामाजिक गतिशीलता थी। शोध के आधार पर एक पुस्तक जनजातीय संस्कृति और सामाजिक गतिशीलता के रूप में प्रकाशित पुस्तक  का सभी मुख्य अतिथि संपादक मंडल और विशिष्ट अतिथियों ने लोकापर्ण किया।

जिसका संचालन पामेला घोष दत्ता ने किया। उन्होंने पुस्तक के लेखन और संपादन के लिए सभी लेखकों और संपादक मंडल को धन्यवाद दिया। जयशंकर प्रसाद की प्रसिद्ध रचना कामायनी काव्य कथा के आधार पर बी.एड की छात्राएं अलका कुमारी, सुदीप्ता रानी, ऋषिता रॉय और प्रियांशु  ने बहुत बहुत प्रभावी तौर पर प्रस्तुत किया। जिसे सभी उपस्थित श्रोता और दर्शक मुक्त कंठ से सराहा। इसके पश्चात साहित्यिक प्रश्नोत्तरी क्रमशः अर्चना कुमारी, सूरीना भुल्लर सिंह, कंचन तिवारी द्वारा संचालित किया गया।

जिसमें विभिन्न महाविद्यालयों के छात्र छात्राओं ने भाग लिया। कार्यक्रम के बाद लघु नाटिका ‘भोलाराम का जीव’ कॉलेज की छात्र- छात्राओं ने के रूप में प्रस्तुत किया जो बहुत ही आकर्षक ही नहीं अपितु ज्ञानवर्धक भी था। जिसमें मनीषा संचालक की भूमिका में तथा सुनीता गोप, अभय प्रताप, अभिषेक कुमार सिंह, विनीता पाठक, मिलन जोशी, अरीअश्विनी, प्रियम, शुभांशु सरदार, लखन सोरेन दीपेश पान, प्रेम नितीश लकरा ने  सुंदर तरीके से अपनी भूमिका निभाई। इसके पश्चात पुरस्कार एवं प्रमाण पत्र एवं स्मृति चिन्ह प्रदान किया गया जिसमें बी चंद्रशेखर, मणि सरीन, तमिल सेल्वी बालाकृष्णन डॉ.जूही समर्पिता, गवर्निंग बॉडी के सचिव सतीश सिंह के द्वारा पुरस्कार और स्मृति चिन्ह प्रतियोगियों को  प्रदान किया गया। इसके पश्चात विशिष्ट अतिथि शिप्रा मिश्रा का संबोधन हुआ।उन्होंने अपने संबोधन में हिन्दी को व्यवहारिक और भावनात्मक संबंधों का विषय बताया उन्होंने हिंदी को प्राण पण से प्रेम ही नहीं बल्कि प्रयोग करने का भी छात्र छात्राओं से आह्वान किया मुख्य अतिथि सरीन ने अपने संबोधन में हिंदी भाषा को अधिकाधिक प्रयोग पर खुशी जताई और इसे अर्थ उपार्जन की भाषा के रूप में रेखांकित किया। बी.चंद्रशेखर डी.बी.एम.एस कॉलेज ट्रस्ट सह प्रेसिडेंट डी.बी.एम.एस कॉलेज ऑफ एजुकेशन के अध्यक्ष ने अपने संबोधन में हिंदी को अधिक से अधिक प्रयोग पर बल देने का सुझाव दिया।

चंद्रशेखर ने रामधारी सिंह दिनकर के ‘रश्मिरथी’ को गीता के ग्यारहवें अध्याय का एक रूपांतरण बताया और इससे शिक्षा लेने की बात की। समारोह के अंत में धन्यवाद ज्ञापन प्राचार्य डॉ. जूही समर्पिता ने प्रस्तुत किया। उन्होंने सभी विशिष्ट अतिथि, मुख्य अतिथि, सभी महाविद्यालयों के अध्यापिकाओं छात्र-छात्राओं, महाविद्यालय के सभी शिक्षक और छात्र-छात्राएं जिन्होंने विभिन्न कार्यक्रमों में अपनी प्रस्तुति दी उन्हें धन्यवाद प्रदान किया  और उनके प्रति आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम का सफल संचालन स्वाति सिंह एवं मंदिरा सेन बी.एड की  छात्रा ने किया। इस समारोह में शिक्षक छात्र छात्राएं एवं गैर शैक्षणिक कर्मचारियों का सहयोग प्राप्त हुआ। कार्यक्रम के बाद राष्ट्रगान के साथ यह समारोह संपन्न हुआ।

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