5वीं व 8वीं कक्षा में अब जनरल प्रमोशन नहीं: स्कूली बच्चों के शैक्षणिक स्तर को लेकर बड़ा फैसला, गजट नोटिफिकेशन जारी, झारखंड में…..
Now there is no general promotion in 5th and 8th class: Big decision regarding the educational level of school children, Gazette notification issued, in Jharkhand.....

School News: पांचवीं व आठवी कक्षा के छात्रों को अब परीक्षा में जनरल प्रमोशन नहीं मिलेगा। मतलब पांचवीं और आठवीं कक्षा से प्रमोट होने के लिए छात्रों को हर हाल में परीक्षा पास करनी ही होगी। छात्रों में शिक्षा गुणवत्ता को लेकर भारत सरकार ने एक बड़ा निर्णय लिया है। सरकार ने नि:शुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम-2009 में संशोधन किया है। इसे लेकर गजट नोटिफिकेशन जारी कर दिया गया है। हालांकि झारखंड में ये लागू होगा या नहीं, ये अभी तय नहीं है।
इस आदेश के लागू होने के बाद झारखंड सरकार अपने स्तर से इस फैसले पर कोई निर्णय लेगी। अब झारखंड सरकार को तय करना है कि वे इसे अमल में लाती है या नहीं, क्योंकि स्कूली शिक्षा राज्य का विषय है। राज्य इस संबंध में अपना निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र है। नयी शिक्षा नीति के तहत अब सरकार ने ‘नो डिटेंशन पॉलिसी’ खत्म कर दी है।
अब तक नि:शुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत आठवीं तक बच्चों को फेल नहीं किया जाता था। भारत सरकार की नि:शुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम-2009 में संशोधित नीति का असर केंद्रीय विद्यालयों, नवोदय विद्यालयों और सैनिक स्कूलों समेत प्राइवेट और सरकारी स्कूलों पर लागू होगा।गजट के अनुसार अगर कोई विद्यार्थी पांचवीं और आठवीं क्लास में फेल हो जाता है तो उसे दो माह के भीतर दोबारा परीक्षा देने का मौका दिया जाएगा।
अगर किसी कारण से वह दोबारा भी फेल होता है, तो उसे प्रमोट नहीं किया जाएगा। उसे उसी क्लास में फिर से पढ़ाई करनी होगी, जिस क्लास में वह पहले से पढ़ रहा था। सरकार के गजट में यह प्रावधान जोड़ा गया है कि नि:शुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत कोई भी कमजोर बच्चे को किसी भी हाल में आठवीं तक स्कूल से बाहर नहीं कर सकता है।
जानकारी के मुताबिक अगर कोई विद्यार्थी कमजोर है तो इस प्रकार के बच्चे की एक सूची स्कूल प्रबंधन द्वारा तैयार की जाएगी। वहीं समय-समय पर इन बच्चों की स्पेशल क्लास करवायी जाएगी। साथ ही कमजोर बच्चों की अलग से मॉनिटरिंग की जाएगी। फेल होने वाले बच्चों के साथ अभिभावकों की काउंसलिंग एक्सपर्ट द्वारा करवायी जाएगी। यह व्यवस्था स्कूल प्रबंधन को करनी होगी. देश के 16 राज्यों और 2 केंद्र शासित प्रदेशों (दिल्ली और पुडुचेरी) में नो डिटेंशन पॉलिसी पहले ही समाप्त हो चुकी है।