नयी दिल्ली । केंद्रीय कर्मचारियों के लिए अच्छी खबर है। कर्मचारियों के नये पे कमीशन को लेकर केंद्र सरकार ने चर्चा शुरू कर दी है। वैसे तो 8th pay commission तो 2024 में आना है, लेकिन उससे पहले कर्मचारियों के वेतन को लेकर मंत्रालय में विशेषज्ञों ने मंथन शुरू कर दिया है। हालांकि कहा ये जा रहा है कि वित्तीय स्थिति को देखते हुए 8th pay commission थोड़ा डिले हो जाये। हालांकि 8th pay commission आये या ना आये, लेकिन सैलरी में बढ़ोत्तरी का नया फार्मूला अब तैयार होने वाला है। फिटमेंट फैक्टर से बढ़ने वाली सैलरी के बजाय अब नये फार्मूले से बेसिक सैलरी बढ़ाने पर विचार किया जा रहा है। सूत्रों के मुताबिक हर साल बेसिक सैलरी भी इजाफा करने का प्लान विभाग की तरफ से तैयार किया जा रहा है। हालांकि ये नया फार्मूला 2024 के बाद लागू होने की संभावना है।

7वें वेतन आयोग की सिफारिशें 2016 में लागू की गयी थी। जानकारी के मुताबिक केंद्रीय कर्मचारियों की सैलरी तय करने को लेकर नये फार्मूले से केंद्रीय कर्मचारियों की सैलरी हर साल तय होगी। हालांकि इस मामले में सरकार की तरफ से अभी कुछ कहा नहीं जा रहा है, लेकिन इतना जरूर तय है कि नये सैलरी स्ट्रक्चर पर वित्त विभाग ने काम करना शुरू कर दिया है। सूत्रों के मुताबिक नये फार्मूले में विभाग की तरफ से हर साल नये बेसिक सैलरी में बढोत्तरी को लेकर चर्चा चल रही है।

किस तरह का फार्मूला हो सकता है लागू

केंद्रीय कर्मचारियों की सैलरी में बढोत्तरी के लिए एक नया फार्मूला तय किया जा रहा है। इस नये फार्मूले की चर्चा काफी वक्त से हो रही है। दरअसल अभी फिटमेंट फैक्टर के आधार पर सरकारी कर्मचारियों की न्यूनतम बेसिक सैलरी तय की जाती है। इस पर हर छह महीने में महंगाई भत्ता रिवाइज होता है, लेकिन बेसिक सैलरी में कोई बदलाव नहीं होता है। जानकारी के मुताबिक नये फार्मूले से कर्मचारियों की सैलरी को महंगाई कास्ट आफ लिविंग और कर्मचारियों की परफार्मेंस जोड़ी जायेगी। इन सभी को मिलाकर सैलरी तय की जायेगी। कुल मिलाकर प्राइवेट में जिस तरह से कर्मचारियों की सैलरी तय होती है, उसी तर्ज पर सैलरी में बढोत्तरी सरकारी कर्मचारियों की भी होगी।

दरअसल अभी ग्रेड पे के आधार सैलरी होने की वजह से वेतन में बड़ा अंतर दिखता है। लेकिन नये फार्मूला आने से इंस अंतर को भी पाटने की कोशिश की जायेगी। सरकारी महकमों में अभी 14 ग्रेड पे है। हर पे ग्रेड में कर्मचारी से लेकर अधिकारी तक शामिल हैं, लेकिन सभी के वेतन में अंतर है। इससे पहले जब 7वां वेतनमान लागू हुआ था, तो उस दौरान ही जस्टिस माथुर ने इशारा कर दिया था कि पे स्ट्रक्चसर को अब नये फार्मूला की तरफ ले जाना चाहते हैं। इसमें कास्ट आफ लिविंग को ध्यान में रखकर सैलरी तय होती है।  

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