कोल्हान नहीं, BJP को यहां से मिलेगी सत्ता सी सीढ़ी, अमित शाह की रैली और रोड शो के मायने को समझिये, क्यों चुनाव गया इन जगहों को…

Not Kolhan, BJP will get the ladder to power from here, understand the meaning of Amit Shah's rally and road show, why the elections went to these places...

Jharkhand Poltics : झारखंड चुनाव इस बार कई सियासी समीकरणों के साथ खड़ा है। झारखंड के सिंहासन के लिए जितना जरूरी कोल्हान है, उतना ही जरूरी उत्तरी छोटानागपुर है। यूं तो भाजपा की उत्तरी छोटानागपुर में पकड़ अच्छी रही है, लेकिन भाजपा के लिए चुनौती दोहरी है। उसे अगर 2014 का इतिहास दोहराना है तो कोल्हान जीतना तो जरूरी है ही, अपने गढ़ को बचाना भी उससे ज्यादा जरूरी है। लिहाजा भाजपा एक बड़ी रणनीति के साथ इस चुनाव में उतरी है। वादों के पिटारे से लेकर चुनाव प्रचार की आक्रमकता बता रही है कि भाजपा ने झारखंड में अपना सब दांव झोंक रखा है। हिमंता बिस्वा जैसा कुटनीतिज्ञ और शिवराज सिंह जैसे रणनीतिकार को झारखंड चुनाव में लगाना ही ये बता रहा था कि यूपी और बिहार से पहले झारखंड की जीत काफी जरुरी है।

 

अमित शाह के चुनाव प्रचार के लिए जिन विधानसभाओं को चिन्हित किया गया, वो भी बहुत सोच समझकर तय किया गया। शनिवार को चुनावी रैली और रोड शो के कार्यक्रम में भी भाजपा की रणनीति की छाप साफ नजर आयी। दरअसल उत्तरी छोटानागपुर प्रमंडल में सात जिले हजारीबाग, कोडरमा, गिरिडीह, रामगढ़, चतरा, धनबाद और बोकारो हैं। यहां विधानसभा की 25 सीटें हैं। इनके नतीजे सरकार बनाने में निर्णायक साबित होते हैं। यहां जाति-धर्म के बूते पार्टियां वोटरों को साधने का प्रयास करती है।

 

भाजपा को बखूबी पता है कि अमित शाह का एक अलग आकर्षण है। लिहाजा उनकी सभाओं से पार्टी को बड़ा फायदा हो सकता है। भाजपा को अगर सत्ता की चाबी हासिल करनी है, तो कई सीटों पर साल 2019 के दाग को उसे धोना होगा। पिछले चुनाव के आंकड़ों को देखें तो पिछली बार यानी 2019 में उत्तरी छोटानागपुर प्रमंडल के 25 सीटों में से भाजपा 11, कांग्रेस 5, झामुमो 4, राजद, JVM, आजसू, माले और निर्दलीय ने एक-एक सीट पर जीत दर्ज की थी। इस साल भाजपा में JVM का विलय हो चुका है और आजसू गठबंधन में चुनाव लड़ रहा है। एरिया की सामाजिक संरचना भाजपा के लिए थोड़ी राहत देने वाली है।

 

2009 के चुनाव में यहां भाजपा की करारी शिकस्त हुई थी। सिर्फ तीन सीटें आई थी. तब 07 सीटों पर जीत के साथ जेवीएम इस प्रमंडल की सबसे पसंदीदा पार्टी बन गई थी। 06 सीटों के साथ कांग्रेस दूसरे स्थान पर थी. झामुमो को 03, लेफ्ट को 02, राजद को 02 और आजसू को 02 सीटें मिली थी, लेकिन 2014 के मोदी लहर में भाजपा ने कमबैक किया और 25 में से 16 सीटों पर कब्जा जमा लिया. जबकि सहयोगी आजसू को दो सीटें मिलीं। राज्य की 81 विधानसभा सीटों में 09 सीटें एससी के लिए रिजर्व हैं। इनमें सबसे ज्यादा चार सीटें उत्तरी छोटानागपुर प्रमंडल में हैं।

 

2019 के चुनाव में भाजपा ने एससी के लिए रिजर्व चार सीटों में से 03 सीटें यानी सिमरिया, जमुआ और चंदनकियारी में जीत हासिल की थी। राजद के खाते में चतरा सीट गई थी। 2014 के चुनाव में चतरा और जमुआ सीट पर भाजपा की जीत हुई थी। सिमरिया और चंदनकियारी सीट जेवीएम के खाते में गई थी, लेकिन जेवीएम के दोनों विधायक भाजपा में शामिल हो गये।

 

इनाम के तौर पर चंदनकियारी से चुनाव जीतने वाले अमर बाउरी को तत्कालीन रघुवर कैबिनेट में जगह मिली थी। धनबाद, चतरा और रामगढ़ की कोयला खदानें. दूसरी तरफ बोकारो स्टील प्लांट इसे अलग पहचान दिलाता है। उर्वर जमीन की बदौलत हजारीबाग के किसान काफी समृद्ध हैं। चतरा और गिरिडीह जिले में कभी नक्सलियों की पैठ हुआ करती थी, जो अब अंतिम सांसे गिन रहे हैं।

 

झारखंड में 13 नवंबर को 43 सीटों पर पहले चरण का चुनाव होना है। इस फेज में उत्तरी छोटानागपुर प्रमंडल की 25 में से 07 यानी कोडरमा, बरकट्ठा, बरही, बड़कागांव, हजारीबाग, सिमरिया और चतरा सीट के लिए वोटिंग होगी। इस प्रमंडल की शेष 18 सीटों के लिए 20 नवंबर को वोट डाले जाएंगे. जाहिर है कि एनडीए अपने 2014 के परफॉर्मेंस को दोहराना चाहेगा. वहीं, इंडिया ब्लॉक चाहेगा कि भाजपा के इस गढ़ में कैसे ज्यादा से ज्यादा सेंधमारी की जा सके।

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