धनबाद। 8 साल तक जिस संस्था के लिए सर्वस्व दिया…ना तपती दुपहरी देखी और ना कड़कड़ाती ठंड….ना जान की परवाह की और ना घरवालों की चिंता…वो संस्था अगर सरकार का फरमान बताकर, झटके में 120 कर्मचारियों को नौकरी छोड़, घर बैठ जाने के आदेश सुना दें, तो लगता यही है कि पीठ पर नहीं, किसी ने सीने में खंजर भोंक दिया है। इसे अमानवीयता की इंतहा नहीं, तो और क्या कहेंगे ? कि SNMMCH में जिन ठेका स्वास्थ्यकर्मियों को कोरोना काल में संकटमोचक कहा गया,… जिन्होंने जान की बाजी लगाकर मानवीयता की मिसाल पेश की,…. काम निकल जाने के बाद अब सरकार ने उन्हें ठीक उसी तरह से नौकरी से बाहर का रास्ता दिखा दिया, जैसे दूध में मानों गिरी हुई मक्खी को निकाल फेंका जाता है।

दरअसल धनबाद जिले के शहीद निर्मल महतो मेडिकल कॉलेज में साल 2015 से प्लेसमेंट एजेंसी के जरिये 120 स्वास्थ्यकर्मियों की नियुक्ति हुई थी। इन स्वास्थ्यकर्मियों ने संक्रमणकाल से लेकर अबतक में इस अस्पताल के लिए संकटमोचक की भूमिका निभायी। कोरोना काल में जान पर खेलकर ना जाने कितनों की जान बचायी। शायद, इसी उम्मीद में, कि सरकार उन्हें इनाम देगी, उनकी पीठ थपथपायेगी, उन्हें नियमित कर देगी…लेकिन क्या मालूम था कि सरकार इतनी मौकापरस्त निकलेगी, कि नियमित नौकरी तो छोड़िये, उनके हक का निवाला तक निगल जायेगी।

जब से सरकार की तरफ से 120 संविदा स्वास्थ्यकर्मियों को हटाने का फरमान जारी हुआ है, तभी से इन स्वास्थ्यकर्मियों में गम और गुस्सा दोनों झलक रहा है। नाराजगी में इन स्वास्थ्यकर्मियों ने अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने का फैसला ले लिया है। शुक्रवार को भी इन स्वास्थ्यकर्मियों ने धनबाद SNMMCH के गेट के बाहर जोरदार प्रदर्शन किया।

पूर्णिमा नीरज सिंह ने CM से की मुलाकात

इधर इस मामले को लेकर राजनीतिक गलियारों में भी खूब प्रतिक्रिया देखी जा रही है। भाजपा विधायक राज सिन्हा ने जहां इस मामले में हटाये गये स्वास्थ्यकर्मियों के साथ खड़े होने की बात कही है, तो वहीं दूसरी तरफ झरिया विधायक पूर्णिमा नीरज सिंह ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मुलाकात की है। विधायक ने मुख्यमंत्री ने इस मामले में त्वरित पहल करने की मांग की है।

मुख्यमंत्री से मुलाकात के दौरान पूर्णिमा सिंह ने हटाये जा रहे कर्मचारियों के खिलाफ जारी आदेश को तुरंत वापस लेने और कर्मचारियों को नियमित करने की मांग की है। विधायक ने बताया कि हटाये जा रहे स्वास्थ्यकर्मी मेडिकल कालेज का अहम हिस्सा है, उनके हटाये जाने से स्वास्थ्य व्यवस्था पर गहरा असर पड़ेगा। लिहाजा स्वास्थ्यकर्मियों को हटाने का फैसला तुरंत वापस लिया जाये।

कर्मचारियों के सामने अब रोजी रोटी का संकट

जिन कर्मचारियों की सेवा समाप्त किये जाने का आदेश मिला है, उनमें वार्ड बॉय, कंप्यूटर ऑपरेटर , ओटी असिस्टेंट , स्टोरकीपर सहित अन्य स्वास्थ्यकर्मी शामिल थे। कर्मचारियों ने बताया कि कोरोना संक्रमण काल में सरकार ने उन्हें कोरोना योद्धा बताकर 1 महीने का अतिरिक्त प्रोत्साहन राशि देने की घोषणा की थी। लेकिन यह प्रोत्साहन राशि भी इन कर्मचारियों को पिछले 1 वर्ष से नहीं दी गयी। मात्र 8000 से 10000 में ये सभी काम करने को मजबूर हैं। उन्हें उम्मीद थी कि उनका वेतन बढ़ाया जाएगा, लेकिन सरकार ने नौकरी से हटाने का निर्देश दे दिया है। ऐसे में कर्मचारियों को अब रोड पर आ जाना पड़ेगा।

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