पटना : कृषि मंत्री सुधाकर सिंह रविवार को डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव को इस्तीफा सौंप दिया। कृषि मंत्री सुधाकर सिंह अपने बयानों से लगातार विवाद में थे। उन्होंने एक कार्यक्रम में कहा था उनके विभाग में चोर भरे पड़े हैं और वे चोरों के सरदार है। वहीं कुछ दिनों पूर्व उन्होंने कहा था माप तोल अधिकारी मिले तो जूते से मरिए। सुधाकर सिंह नीतिश कुमार के कृषि रोड मैप पर भी सवाल उठाए है।

सरकार के लिए नहीं बनना चाहते थे समस्‍या 

सुधाकर सिंह ने कहा कि वे सरकार के लिए समस्‍या नहीं बनना चाहते थे। हालांक‍ि उनके इस्‍तीफे पर कोई फैसला होना अभी बाकी है। राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह ने कहा कि सुधाकर सिंह ने किसानों के हित में दिया इस्तीफा। हम बात को आगे नहीं बढ़ाना चाहते थे।

कृषि विभाग में भ्रष्‍टाचार का उठाया था मसला

किसानों की समस्या और कृषि विभाग में फैले भ्रष्टाचार को लेकर कई बार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को राजद के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव और उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव का सुधाकर सिंह ने ध्यान आकृष्ट किया था। कैबिनेट की बैठक में भी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ सुधाकर की नोकझोंक हुई थी। इससे पहले विधानसभा क्षेत्र रामगढ़ और कैमूर जिले में आयोजित जन सभा कई बार विभाग के भ्रष्टाचार को लेकर कृषि मंत्री सुधाकर सिंह ने चिंता जताई थी। अफसरों को भी चेताया था। कृषि सचिव एन सरवन को भी हटाने की मांग की थी।

अब तक नहीं मिला था पीएस 

राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह ने बाकायदा मीडिया से बातचीत कर सुधाकर सिंह के इस्‍तीफे की पुष्टि की है। आपको बता दें कि अभी तक सुधाकर सिंह को निजी सचिव (पीएस) भी नहीं दिया गया था। वह कृषि सचिव एन सरवन को नहीं हटाने को लेकर खफा चल रहे थे। उन्‍होंने अपने विभाग के अफसरों पर सवाल उठाया तो मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार ने इसे मीडिया के सामने खारिज कर दिया था। नीतीश कुमार ने कहा था कि कृषि विभाग के अफसर काबिल हैं। 

तकनीकी रूप से सही नहीं है इस्‍तीफा 

बताया जा रहा है कि 1992 में जगदानंद सिंह ने भी लालू प्रसाद की कैबिनेट से इस्तीफा दिया था। लालू प्रसाद ने बहुत दिन तक इस्तीफा अपने पास रखा। राज्यपाल को नहीं भेजा। बाद में जगदानंद मंत्री बने रहे। हो सकता है कि सुधाकर सिंह के साथ भी ऐसा ही हो। क्‍योंकि तकनीकि रूप से यह इस्तीफा सही नहीं है। जब तक तेजस्वी यादव इसकी सूचना मुख्यमंत्री को देते हैं और मुख्यमंत्री नीतीश स्वीकार नहीं करते हैं, तब तक यह सही नहीं माना

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