जम्मू कश्मीर। “मर जाऊं तो मेरी बेटी का ख्याल रखना” शहादत के पहले DSP हुमायू भट्ट के यही आखिरी अल्फाज थे। आतंकियों की गोली से घायल होने के बाद DSP हुमायू ने अपनी पत्नी को VIDEO कॉल किया था। वो अपनी दो महीने की बेटी को देखना चाहते थे। बेटी को देखने के बाद डीएसपी भट्ट ने अपनी पत्नी से यही कहा, अगर मैं मर जाऊं, तो प्लीज हमारी बेटी का बहुत ख्याल रखना। डीएसपी भट्ट जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग में कर्नल और मेजर के साथ ही घायल हुए थे और फिर उनकी शहादत हो गयी थी।
शहीद हुमायूं भट की बीते साल शादी हुई थी, उनकी एक 2 महीने की बेटी है। पत्नी को वीडियो कॉल करने से पहले उन्होंने अपने पिता रिटायर्ड डीआईजी गुलाम हसन भट को भी फोन कर बताया कि वह घायल हो गए हैं लेकिन फिलहाल ठीक हैं। शहीद डीएसपी हुमायूं भट्ट की फैमिली में उनकी पत्नी और दो महीने की बेटी है।
उनके पिता गुलाम हसन भट्ट पूर्व DIG हैं। वह मूलतः पुलवामा जिले के रहने वाले हैं। अब ये परिवार बड़गाम के हुमहामा इलाके में एक कॉलोनी में रहता है। हुमायूं भट्ट बीते तीन साल से जम्मू कश्मीर पुलिस में बतौर डीएसपी कार्यरत थे। उनके पिता रिटायर्ड पुलिस ऑफिसर हैं. हुमायूं की पत्नी प्रोफेसर हैं।
दरअसल DSP भट उन तीन अफसरों में एक थे, जो आतंकियों के लिए चलाए जा रहे सर्च ऑपरेशन का आगे बढ़कर नेतृत्व कर रहे थे. तभी आतंकियों ने गोलियां बरसा दीं. इस दौरान कर्नल मनप्रीत और मेजर आशीष को भी गोली लगी थी. इसके चलते तीनों वीर सपूत घायल हो गए।इसकी जानकारी मिलने के बाद आतंकियों के ठिकाने पर ऑपरेशन चलाया गया. साथ ही घने जंगल के कारण हेलीकॉप्टर से पहुंचे बचाव दल को उन तक पहुंचने में समय लगा. उन्हें इलाज के लिए एयरलिफ्ट किया गया।
इलाज के दौरान उन्हें बचाया नहीं जा सका. लिहाजा तीनों सपूतों ने देश के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान दिया. DGP दिलबाग सिंह ने कहा कि मैंने मुठभेड़ स्थल से डीएसपी हुमायूं भट के पिता से बात की और उन्हें बताया कि हमारी बचाव टीम घटनास्थल पर पहुंच गई है और हम उन्हें नीचे उतार रहे हैं. मैंने उन्हें वीडियो कॉल पर दिखाया कि बचाव के लिए क्या-क्या प्रयास किए जा रहे हैं।