शादी…तलाक मजाक नहीं – हाईकोर्ट ने कहा, “आप सहमति से अलग हुए, अब ये फैसला नहीं बदलेगा”… तलाक के बाद भी साथ घूमना, सालगिरह मनाना, नहीं बना सकता रिश्ता
Marriage...divorce is not a joke - High Court said, "You separated with mutual consent, now this decision will not change"... Travelling together, celebrating anniversary even after divorce cannot make a relationship

Highcourt Big Decesion : तलाक अगर एक बार हो गया तो पति-पत्नी चाहकर भी तलाक का आदेश रद्द नहीं करा सकेंगे। हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय देते हुए स्पष्ट कर दिया है कि सहमति से लिए गए तलाक को बाद में रद्द नहीं किया जा सकता, भले ही पति-पत्नी दोबारा साथ रहने लगे हों। अदालत ने महिला की अपील खारिज कर दी और कहा कि इस तरह का कदम कानून के दायरे में संभव नहीं है।
पूरा मामला छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले का है, जहां दरअसल तलाकशुदा पति पत्नी को शादी की सालगिरह मनाना और घूमना महंगा पड़ गया। हाई कोर्ट ने फैमिली कोर्ट के तलाक मंजूर करने के फैसले को निरस्त करने से इनकार करते हुए महिला की अपील खारिज कर दी है। तलाक के बाद भी रिश्ते सुधरने पर दोनों ने तलाक की डिक्री निरस्त करने की मांग की थी।
पति पत्नी ने दोबारा साथ रहने के दावे को सबूत के तौर पर तस्वीरें भी पेश की, लेकिन कोर्ट ने रियायत नहीं दी। हाई कोर्ट ने कहा कि आपसी सहमति से तलाक लेने के लिए दोनों ने 9 दिसंबर 2024 को आवेदन देकर 6 महीने की कूलिंग पीरियड हटवाने की मांग की थी। पति-पत्नी अगस्त 2022 से अलग रह रहे हैं, सबूतों के आधार पर फैमिली कोर्ट ने तलाक का फैसला दिया। अब उस फैसले के खिलाफ अपील करना कानूनन मान्य नहीं है।
अभिनव श्रीवास्तव बनाम आकांक्षा श्रीवास्तव केस का हवाला कोर्ट ने एक पुराने मामले का जिक्र करते हुए कहा कि सहमति से तलाक लेने के बाद अपील नहीं की जा सकती। यह मामला छत्तीसगढ़ के बिलासपुर के सिविल लाइन क्षेत्र की महिला से जुड़ा है, जिसकी शादी मोपका निवासी युवक से हुई थी। वैवाहिक जीवन में अनबन के चलते दोनों ने आपसी सहमति से तलाक का निर्णय लिया। फैमिली कोर्ट ने 4 जनवरी 2025 को तलाक मंजूर कर डिक्री पारित कर दी।
तलाक के बाद बदले हालात
तलाक के दो महीने बाद दोनों के बीच फिर बातचीत शुरू हुई। उन्होंने 11 से 15 मार्च 2025 तक मथुरा की यात्रा की, होटल में ठहरे और शादी की सालगिरह भी साथ मनाई। महिला ने हाई कोर्ट में अपील कर कहा कि चूंकि अब रिश्ते सुधर गए हैं, इसलिए तलाक का आदेश रद्द कर दिया जाए।
महिला की ओर से ट्रेन टिकट, होटल बुकिंग और साथ बिताए पलों की तस्वीरें सबूत के रूप में पेश की गईं। महिला का कहना था कि वह अब भी पति के खाते में पैसे ट्रांसफर करती है और उनका रिश्ता जारी है।
हाई कोर्ट का सख्त रुख
जस्टिस रजनी दुबे और जस्टिस अमितेंद्र किशोर प्रसाद की डिवीजन बेंच ने कहा कि यह मामला भावनाओं से ज्यादा कानून का है। दोनों ने खुद 9 दिसंबर 2024 को छह महीने की कूलिंग पीरियड हटाने का आवेदन दिया था ताकि जल्दी तलाक हो सके। फैमिली कोर्ट ने सभी दस्तावेज देखकर ही डिक्री पारित की थी।
कोर्ट ने कहा,
“कानून भावनाओं से नहीं चलता, यह तथ्यों और प्रक्रियाओं पर आधारित होता है। सहमति से तलाक लेने के बाद उस आदेश के खिलाफ अपील का कोई स्थान नहीं है।”
अदालत ने अभिनव श्रीवास्तव बनाम आकांक्षा श्रीवास्तव केस का हवाला देते हुए स्पष्ट किया कि सहमति से तलाक लेने के बाद डिक्री रद्द नहीं की जा सकती।
फैसले का महत्व
इस आदेश से यह साफ हो गया है कि अगर कोई दंपती आपसी सहमति से तलाक लेता है, तो बाद में केवल रिश्ते सुधरने के आधार पर डिक्री को खत्म नहीं कराया जा सकता। यदि पति-पत्नी फिर से साथ रहना चाहते हैं, तो उन्हें नया विवाह पंजीकरण कराना होगा।









