Mahakumbh 2025 : महाकुंभ में पीएम मोदी ने संगम में लगाई डुबकी, मां गंगा किया पूजन

PM Modi Mahakumbh : महाकुंभ मेले का आज 24वां दिन है। आज PM नरेंद्र मोदी महाकुंभ में त्रिवेणी की धारा में आस्था की डुबकी लगाई। इस दौरान पीएम मोदी लाल रंग की टी-शर्ट पहने हुए थे।गले में रुद्राक्ष की माला थी। स्नान के दौरान पीएम मोदी जाप करते हुए नजर आए थे। इस दौरान उन्होंने सूर्य की परिक्रमा भी लगाई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज (5 फरवरी 2025) माघ महीने की अष्टमी तिथि पर पुण्य काल में पवित्र डुबकी लगाई।

Mahakumbh 2025 :  इससे पहले साल 2019 के कुंभ के शुरू और बाद में भी पीएम मोदी कुंभ मेले में आए थे। 12 साल में एक बार लगने वाला महाकुंभ इस बार प्रयागराज में लगा हुआ है। PM मोदी की सुरक्षा के लिए अरैल क्षेत्र में खास अलर्ट जारी किया गया है। उनके आगमन को लेकर पांच सेक्टर मजिस्ट्रटों की तैनाती की गई है। गंगा, यमुना और सरस्वती नदियों के संगम स्थल पर लगने वाले इस महाकुंभ मेले में दुनियाभर से करोड़ों श्रद्धालु आ रहे हैं। त्रिवेणी संगम में तीन नदियां गंगा, यमुना और सरस्वती आपस में मिलती हैं। इन तीनों नदियों का मिलन प्रयागराज के संगम में होता है। प्रयागराज एक तीर्थस्थल है। यहीं पर शाही स्नान होता है।

बता दें कि कुंभ मेला हर तीन साल में एक एक बार उज्जैन, प्रयागराज, हरिद्वार और नासिक में आयोजित होता है। अर्ध कुंभ मेला 6 साल में एक बार हरिद्वार और प्रयागराज के तट पर लगता है। वहीं पूर्ण कुंभ मेला 12 साल में एक बार आयोजित किया जाता है, जो प्रयागराज में होता है। 12 कुंभ मेला पूर्ण होने पर एक महाकुंभ मेले का आयोजन होता है। इससे पहले महाकुंभ प्रयाराज में साल 2013 में लगा था।

Mahakumbh 2025 :जानें कुंभ और महाकुंभ में अंतर

कुंभ मेला हर तीन साल में एक एक बार उज्जैन, प्रयागराज, हरिद्वार और नासिक में आयोजित होता है। अर्ध कुंभ मेला 6 साल में एक बार हरिद्वार और प्रयागराज के तट पर लगता है। वहीं पूर्ण कुंभ मेला 12 साल में एक बार आयोजित किया जाता है, जो प्रयागराज में होता है। 12 कुंभ मेला पूर्ण होने पर एक महाकुंभ मेले का आयोजन होता है। इससे पहले महाकुंभ प्रयाराज में साल 2013 में आयोजित हुआ था।

Mahakumbh 2025 :महाकुंभ स्नान से अमृत मिलता है

महाकुंभ का संबंध समुद्र मंथन से जुड़ा है। समुद्र मंथन के दौरान अमृत पाने के लिए देव और दानवों में 12 दिन तक लगातार युद्ध चला था। विष्णु के कहने पर गरुड़ ने अमृत का कलश ले लिया। असुरों ने जब गरुड़ से अमतृ कलश छीनने की कोशिश की तो उस पात्र में से अमृत की कुछ बूंदें छलक कर इलाहाबाद, नासिक, हरिद्वार और उज्जैन में गिरीं थी. यह ही वजह है कि महाकुंभ के दौरान हरिद्वार में गंगा, उज्जैन में शिप्रा, नासिक में गोदावरी और इलाहबाद में त्रिवेणी संगम पर स्नान किया जाता है। मान्यता है कि इससे अमृत की प्राप्ति होती है।

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