चाईबासा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज अपनी मन की बात में झारखंड के लाइब्रेरी मैन संजय कच्छप का जिक्र किया। किताबों के प्रति संजय के समर्पण की सराहना करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने ऐसी निष्ठा सीख लेने योग्य है। प्रधानमंत्री ने जिस संजय कच्छप का जिक्र किया, वो झारखंड के चाईबासा के रहने वाले हैं। 42 साल के संजय 2002 में स्नातक की पढ़ाई के वक्त IAS बनने का सपना देखा, लेकिन इसके लिए अपने स्तर से हर संभव कोशिश की, लेकिन पैसे की कमी से वो किताबें नहीं खरीद पाये।

किताबे नहीं खरीद पाने की वजह से उन्हें अपना सपना बीच में ही छोड़ना पड़ा। उन्हें बाद रेलवे और कृषि विभाग में नौकरी मिल गयी। किताब नहीं मिल पाने की वजह से संजय का सपना टूटा था, लिहाजा उन्होंने उन जरूरतमंद की मदद का बीड़ा उठाया, जो पढ़ना चाहते हैं, लेकिन किताबें नहीं खरीद पाने की वजह से उनका सपना अधूरा रह जाता है। इन पुस्तकालयों की मदद से दूरदराज के क्षेत्रों में रहने वाले गरीब और आदिवासी छात्रों को उनके जरूरत की सारी किताबें आसानी से उपलब्ध हो जा रही है।

उन्होंने गरीब बच्चों के लिए लाइब्रेरी तैयार करना शुरू किया। नौकरी के दौरान जहां-जहां वो पदस्थ रहे, वहां उन्होंने लाइब्रेरी तैयार की। अब उन्हें लोग लाइब्रेरी मैन के नाम से जानते हैं। कोल्हान में उन्होंने 40 लाइब्रेरी की स्थापना की है। सबसे पहले संजय कच्छप ने पश्चिमी सिंहभूम जिला मुख्यालय चाईबासा में वार्ड नंबर-1 के पुलहातू स्थित अपने पैतृक स्थान पर ‘मोहल्ला पुस्ताकलय’ की स्थापना की। तब से लेकर अब तक उन्होंने कोल्हान प्रमंडल के तीन जिलों पश्चिमी सिंहभूम, सरायकेला-खरसावां और पूर्वी सिंहभूम जिले में लगभग 40 पुस्तकालयों की स्थापना की है।

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