छत्तीसगढ़ में सुरक्षाबलों को बड़ी सफलता: 13 लाख के इनामी नक्सली दंपति ने किया आत्मसमर्पण

रायपुर। छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद के खिलाफ चल रही मुहिम को बुधवार को एक बड़ी सफलता मिली है। लंबे समय से सक्रिय और खतरनाक माने जाने वाले एक नक्सली दंपति ने पुलिस और सुरक्षाबलों के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया। यह दंपति पिछले दो दशकों से नक्सली गतिविधियों में लिप्त था और इन पर कुल 13 लाख रुपये का इनाम घोषित था।

पुलिस अधिकारियों के अनुसार, आत्मसमर्पण करने वालों की पहचान डिविजनल कमेटी सदस्य जीवन तुलावी उर्फ राम तुलावी (45) और उसकी पत्नी व एरिया कमेटी सदस्य अगाशा उर्फ आरती कोर्राम (38) के रूप में हुई है। दोनों अबूझमाड़ क्षेत्र में माओवादियों की वैचारिक और प्रचार इकाइयों से जुड़े हुए थे।

राम तुलावी पर 8 लाख और उसकी पत्नी आरती कोर्राम पर 5 लाख रुपये का इनाम घोषित था। दोनों ने मोहला जिले के पुलिस अधीक्षक कार्यालय में राजनांदगांव रेंज के पुलिस महानिरीक्षक (आईजी) अभिषेक शांडिल्य, पुलिस अधीक्षक वाई.पी. सिंह और 27वीं आईटीबीपी बटालियन के कमांडेंट विवेक कुमार पांडे के समक्ष आत्मसमर्पण किया।

छत्तीसगढ़ में सुरक्षाबलों को बड़ी सफलता:  20 साल की नक्सली पृष्ठभूमि

जीवन तुलावी वर्ष 2008 में माओवादी संगठन से जुड़ा था। शुरूआती दौर में वह पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी (PLGA) की सैन्य इकाई का हिस्सा रहा और बाद में माड़ डिवीजन में मोबाइल राजनीतिक स्कूल (MOPOS) का कमांडर बन गया। इसके तहत वह ग्रामीणों को वामपंथी विचारधारा की शिक्षा देता था।

वहीं, अगाशा उर्फ आरती कोर्राम चेतना नाट्य मंडली (CNM) की कमांडर और माड़ डिवीजन की प्रेस टीम में सक्रिय थी। वह न सिर्फ माओवादी प्रेस विज्ञप्तियां तैयार करती थी, बल्कि गीत, कविता और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के जरिए नक्सली प्रचार करती थी। वह गायन, नृत्य और लेखन में दक्ष रही है और कंप्यूटर संचालन में भी नक्सलियों की मदद करती थी।

छत्तीसगढ़ में सुरक्षाबलों को बड़ी सफलता:  सुरक्षाबलों ने बताया अहम मोड़

आईजी अभिषेक शांडिल्य ने इस आत्मसमर्पण को एक “वैचारिक जीत” बताया और कहा कि ये दोनों नक्सली संगठन के ब्रेनवॉश और प्रचार तंत्र का महत्वपूर्ण हिस्सा थे। इनका आत्मसमर्पण नक्सलवाद के खिलाफ लड़ाई में निर्णायक साबित होगा।

पुलिस अधिकारियों ने उम्मीद जताई कि इस आत्मसमर्पण से अन्य नक्सलियों को भी मुख्यधारा में लौटने की प्रेरणा मिलेगी। आत्मसमर्पण नीति के तहत दंपति को पुनर्वास और पुनर्निर्माण के अवसर प्रदान किए जाएंगे।

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