शराब की आड़ में अरबों का खेल! 22 अफसर बाहर, 7 रिटायर्ड भी फंसे… पर असली खिलाड़ी अब भी बाहर…कौन है इस खेल का मास्टरमाइंड?

10 जुलाई 2025: बहुचर्चित शराब घोटाले में राज्य सरकार ने अब तक की सबसे बड़ी प्रशासनिक कार्रवाई करते हुए आबकारी विभाग के 22 अधिकारियों को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। इसके साथ ही 7 सेवानिवृत्त अधिकारियों को भी आरोपी बनाया गया है। यह कार्रवाई EOW/ACB द्वारा प्रस्तुत 2300 पन्नों के चालान के बाद हुई है, जिसे कोर्ट ने स्वीकार कर लिया है।
क्या है ये ‘बी-पार्ट’ शराब घोटाला?
2019 से 2023 के बीच, प्रदेश के 15 ज़िलों में सरकारी दुकानों से अवैध देसी शराब की समानांतर बिक्री की गई। जिसे ‘बी-पार्ट शराब’ नाम दिया गया — यानी बिना टैक्स चुकाई गई शराब।
इसमें डिस्टलरी, ट्रांसपोर्टर, सेल्समैन, आबकारी अधिकारी और निजी एजेंसियां भी शामिल थीं। ये नेटवर्क सरकारी शराब की आड़ में अवैध शराब की आपूर्ति कर रहा था, जिससे अरबों की अवैध कमाई सीधे सिंडीकेट तक पहुंचती थी।
अब तक का घोटाले का आँकड़ा:
60 लाख से ज़्यादा पेटी अवैध शराब की बिक्री
पहले अनुमान: ₹2174 करोड़
अब संशोधित अनुमान: ₹3200 करोड़ से अधिक
इन 22 अधिकारियों को किया गया निलंबित:
निलंबित अधिकारियों में उपायुक्त, सहायक आयुक्त, जिला आबकारी अधिकारी जैसे वरिष्ठ पदों पर कार्यरत अफसर शामिल हैं। इनमें जनार्दन कौरव, अनिमेष नेताम, विजय सेन शर्मा, इकबाल खान, नितिन खंडुजा, नीतू नोतानी ठाकुर, सोनल नेताम, और राजेश जायसवाल जैसे नाम शामिल हैं।




7 रिटायर्ड अफसर भी घेरे में:
इनमें ए.के. सिंह, जे.आर. मंडावी, देवलाल वैष, एल.एल. ध्रुव जैसे वरिष्ठ सेवानिवृत्त अधिकारी शामिल हैं, जिन्हें साजिश और आपराधिक मिलीभगत का आरोपी बनाया गया है।
नोटिस के बावजूद आरोपी पेश नहीं हुए
EOW द्वारा समन जारी करने के बावजूद 29 आरोपी कोर्ट में पेश नहीं हुए। अब कोर्ट ने उन्हें 20 अगस्त तक अंतिम नोटिस जारी किया है।
पूर्व मंत्री को मिले थे 64 करोड़ रुपये?
जांच में यह भी खुलासा हुआ है कि घोटाले से पूर्व मंत्री कवासी लखमा को 64 करोड़ रुपये की अवैध आमदनी हुई। कहा जा रहा है कि उनका नाम घोटाले के संरक्षण और संचालन से सीधे जुड़ा है।
अब तक की कार्रवाई:
13 गिरफ्तारियां
70 आरोपी नामजद
4 अभियोग पत्र दायर
जांच अब भी जारी, विदेशी शराब, मनी लॉन्ड्रिंग और राजनैतिक संरक्षण की परतें खोली जा रही हैं।