झारखंड में जमीन पर कब्जा विवाद ने पकड़ा सियासी तूल, निशिकांत बोले, …अब हिंदुओं की बारी… बाबूलाल ने सख्त कार्रवाई की मांग की

Land grabbing dispute in Jharkhand gained political momentum, Nishikant said, now it is the turn of Hindus... Babulal demanded strict action.

Jharkhand News: झारखंड में आदिवासियों की जमी पर कब्जा का मुद्दा गरमा गया है। संथालपरगना में आये दिन अवैध निर्माण व जमीन कब्जा करने के प्रकरण सामने आ रहे हैं। पाकुड़ के महेशपुर से आयी शिकायत के बाद अब भाजपा ने एक बार फिर हेमंत सरकार को घेरा है। दरअसल महेशपुर में पीर मजार के सामने की शासकीय जमीन पर अवैध कब्जा करने का मामला सामने आया है। आरोप है कि मेला के बहाने से जमीन पर अवैध निर्माण किया जा रहा है।

 

जानकारी के मुताबिक महेशपुर के पीर मजार में हर साल फरवरी में मेला लगता है। इस साल चार फरवरी को मेला लगना है। आरोप है कि बंगाल से आये व्यक्तियों ने पीर मजार के सामने जमीन पर कब्जा करने करना शुरू किया, जिसके बाद दो समुदाय आपस में भिड़ गये। हालांकि प्रशासन ने तुरंत ही मोर्चा संभाला, जिसके बाद दोनों पक्षों को किसी तरह से शांत किया गया। पहाड़िया समुदाय का आरोप है कि मेला के नाम पर शासकीय जमीन पर कब्जा करने की कोशिश की जा रही है।

 

भाजपा ने साधा निशाना

इस मामले में अब भाजपा ने हेमंत सरकार को आड़े हाथों लिया है। भाजपा से गोड्डा सांसद निशिकांत दुबे ने कहा है कि एक दिन पूरा संथालपरगना बांग्लादेशी घुसपैठिया यानि मुस्लिम के क़ब्ज़े में होगा ।आदिवासी समाज का अस्तित्व ख़त्म होने के कगार पर है,फिर हिंदू की बारी है।

 

बाबूलाल मरांडी ने जतायी नाराजगी

वहीं इस मामले में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने भी हेमंत सरकार पर निशाना साधा है। बाबूलाल मरांडी ने सोशल मीडिया हैंडल पर कहा है कि झारखंड की अबुआ सरकार समुदाय विशेष के लोगों को जमीन विवाद से जुड़े मामलों में खुला संरक्षण दे रही है, जिसका सबसे ज्यादा नुकसान आदिवासियों को भुगतना पड़ रहा है।

 

 

पाकुड़ में समुदाय विशेष के द्वारा सरकारी जमीन पर जबरन अवैध निर्माण करना दर्शाता है कि इन्हें किस हद्द तक सरकार का संरक्षण प्राप्त है! संताल परगना समेत पूरे प्रदेश में आदिवासियों की जमीन पर अवैध कब्जे की घटनाएं बढ़ रही हैं।

 

आदिवासी समाज झारखंड की सांस्कृतिक और सामाजिक विरासत का अहम हिस्सा है, लेकिन बाहरी घुसपैठ और जमीन कब्जाने की घटनाओं के चलते वह अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रहे हैं । मुख्यमंत्री वोटबैंक की राजनीति छोड़कर ऐसे मामलों में निष्पक्ष और सख्त कार्रवाई करें, ताकि आदिवासियों के अधिकार और अस्तित्व सुरक्षित रह सकें।

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