झारखंड संविदा कर्मियों का वेतन विवाद: लाखों कर्मचारी बिना मानदेय के त्योहार मना रहे
Jharkhand contract workers' salary dispute: Lakhs of employees are celebrating festivals without honorarium

रांची। झारखंड सरकार ने इस बार दुर्गा पूजा को देखते हुए नियमित कर्मचारियों का वेतन पांच दिन पहले ही जारी कर दिया, जिससे लाखों परिवार खुश हैं। लेकिन राज्य के करीब दो लाख संविदा कर्मियों की उम्मीदें अधूरी रह गईं। इन कर्मचारियों को समय पर मानदेय नहीं मिला, जिससे वे बिना वेतन के ही त्योहार मना रहे हैं और गहरी नाराजगी जताई जा रही है।
सबसे अधिक प्रभावित विभाग हैं समाज कल्याण विभाग और स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग। समाज कल्याण विभाग में लगभग 37,863 आंगनबाड़ी सेविकाएं और 63,871 सहायिकाएं काम कर रही हैं। वहीं, शिक्षा विभाग में लगभग 60 हजार सहायक अध्यापक शामिल हैं। इसके अलावा, प्रखंड साधन सेवक, क्लस्टर साधन सेवक, पंचायत सहायकों, मनरेगा कर्मियों, कृषि और स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी भी प्रभावित हैं।
भुगतान में देरी के कारण विभागों और कर्मियों की समस्याएं अलग-अलग हैं। सहायक अध्यापकों का वेतन जिलों द्वारा समय पर अनुपस्थिति विवरण न भेजने के कारण अटका। मनरेगा कर्मियों का मानदेय नई भुगतान प्रणाली में तकनीकी दिक्कतों के कारण रोका गया। पंचायत सहायकों का भुगतान जनवरी 2025 से लंबित है, जबकि आंगनबाड़ी सेविका-सहायिका को केंद्र से फंड न मिलने के कारण जुलाई के बाद वेतन नहीं मिला।
राज्य की सबसे बड़ी चिकित्सा संस्था रिम्स में भी करीब 550 आउटसोर्सिंग कर्मचारी दो माह से वेतनविहीन हैं। इसमें ट्रॉलीमैन, वार्ड बॉय और सफाई कर्मी शामिल हैं, जिन्हें प्रतिमाह 9,200 रुपये मिलने हैं, लेकिन एजेंसी स्तर पर भुगतान अटका हुआ है।