झारखंड : स्वास्थ्य सेवाओं की कमी आई सामने…आदिवासी लड़की के शव को खटिया में टांगकर 10 किमी चले परिजन, एंबुलेंस की व्यवस्था नहीं
Jharkhand: Lack of health services came to the fore...family members walked 10 kms with the dead body of the tribal girl hanging on a cot, no arrangement for ambulance

साहिबगंज झारखंड की सबसे बैकस्टोरी में समेटी है और इसकी तस्दीक करती एक शर्मनाक तस्वीर भी सामने है। एक खटिया है और इसमें शामिल है जेसबी लड़की की मौत। चार लोग कंधे पर खटिया को टाँगकर पैदल चल रहे हैं।
ये लोग 10 किमी तक ऐसे ही खटिया में पड़े लड़के के शव को लेकर पैदल चलते हैं। कारण ये है कि शव को ले जाने के लिए सरकारी अस्पताल की तरफ से वाहन उपलब्ध नहीं कराया गया। ऐसी तस्वीरें झारखंड में आम हो चली हैं।
पहले सरकार और वैष्णव स्वर्ग सिद्ध हुए और अब तो जनता के लिए भी ऐसी तस्वीरें नए नामांकन हैं। जवान हैं. जंगलों और पहाड़ों में रहते हैं, उनकी ऐसी मौत को कौन पूछता है? स्वास्थ्य मंत्री ने किया वादा तो है कि बाइक मालिक चलाएंगे.
शव को खटिया पर टांगकर 10 किमी पैदल चलकर
इस तस्वीर को लेकर मिली जानकारी के अनुसार साहिबगंज स्वास्थ्य केंद्र में इलाज के दौरान एक युवक की मौत हो गई। ईजेल ने शव को घर ले जाने के लिए 108 नंबर पर कॉल किया, लेकिन काफी इंतजार के बाद भी वह नहीं आया।
लाचार कैसल ने खटिया में लड़की के शव को रखा और पैडरल ही 10 किमी दूर क्षेत्र में रखा। वैसे चिंता की बात नहीं है. अविश्वास जांच का आदेश दिया जाएगा. सिविल इंजीनियर्स की पहचान कर उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की गई।
स्वास्थ्य मंत्री ऐसी घटनाओं को भविष्य में न देखें, भविष्य में ऐसी घटना हो जाने तक। तब तक मनईयां योजना का लाभ उठाएं।
स्वास्थ्य मंत्री के सख्त आदेश में भी नहीं आया कोई काम
पिछले दिनों ही स्वास्थ्य मंत्री ने सभी सिविल अधिकारियों को यह निर्देश दिया था कि किसी भी स्थिति में हवाई सेवा अस्पताल में भर्ती होना चाहिए। यदि किसी की मृत्यु के दौरान उसका इलाज किया जाता है तो उसके लिए शव वाहन उपलब्ध कराना अनिवार्य होगा।
अगर इलाज में कोटा ही शामिल है तो सिविल सर्जन जिम्मेदार होगा। शायद यह कहना भूल गया कि यह निर्देश साहिबगंज के सिविल सर्जनों के लिए नहीं है।