रांची। आफिस आफ प्रोफिट मामले में आज राजभवन अपना फैसला सीएम सचिवालय को भेज सकता है। अगर हेमंत सोरेन खनन पट्टा मामले में दोषी पाये जाते हैं, तो उन्हें सीएम पद की कुर्सी गंवानी पड़ सकती है। उनके कुर्सी से हटने को लेकर अभी तो स्थिति तो स्पष्ट नहीं है, लेकिन उनके उत्तराधिकारी को लेकर चर्चाएं शुरू हो गयी है। सबसे मजबूत उत्तराधिकारी उनकी पत्नी कल्पना सोरेने को कहा जा रहा है। राजनीतिक गलियारों में ये कहा जा रहा है कि जिस तरह से लालू यादव ने अपनी पत्नी राबड़ी देवी को अपना उत्तराधिकारी बनाते हुए CM पद की कुर्सी सौंपी थी, उसी तरह हेमंत सोरेन भी अपनी पत्नी कल्पना सोरेन को कुर्सी सौंप सकते ह ।

कल्पना सोरेन कौन है, जिनकी आजकल खूब है चर्चा

कल्पना सोरेन का जन्म भले ही रांची में हुआ है, लेकिन वो झारखंड की नहीं बल्कि उड़ीसा की रहने वाली है। कल्पना सोरेन ओड़िशा के मयूरभंज की रहने वाली है। वो एक बिजनेसमैन घराने से आती हैं। कल्पना के दो भाई-बहन हैं। 1976 में रांची में उनका जन्म हुआ था। रांची में ही उन्होंने अपनी पढ़ाई ग्रेजुएशन तक की। 2006 में हेमंत सोरेन से शादी हुई। हेमंत सोरेन के दो बच्चे हैं। कल्पना खुद बिजनस संभालती है। वो प्राइवेट स्कूल चलाती है और सामाजिक कार्यक्रमों में खूब भाग लेती है। वो बुमन इम्पावरमेंट और चाइल्ड प्रोग्राम में शामिल होती है। कल्पना अब तक बेशक राजनीति से दूर रही है, लेकिन वो जिस परिवार में 16 सालों से रह रही है, उसका हर सदस्य राजनीति से जुड़ा है। लिहाजा अनुभव पर सवाल उठाने वालों को ये जरूर समझना चाहिये कि कल्पना के मायके के लोग भले ही राजनीति से दूर हो, लेकिन कल्पना 16 सालों से अपने ससुराल में राजनीति को बेहत करीब से देख रही है।

कल्पना सोरेन पर भी लगे हैं आरोप

कल्पना सोरेन के बिजनस फर्म पर भी आरोप लगे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने आरोप लगाया था कि  हेमंत सोरेन ने अपनी शक्तियों का गलत इस्तेमाल करके अपनी पत्नी के नाम पर एक प्लॉट अलॉट किया था. कहा गया था कि हेमंत जिस उद्योग विभाग के मुखिया थे, उसने कल्पना के नाम पर 11 एकड़ जमीन की थी. रघुवर दास ने आरोप लगाया था कि यह प्लॉट मीट प्रोसेसिंग यूनिट लगाने के लिए soharai private limited को दिया गया था. कहा गया था कि इस कंपनी की मालिक कल्पना सोरेन हैं. दास ने कहा था कि इस तरह जमीन अलॉट करना भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम का उल्लंघन है. कहा गया था कि सीएम इस तरह अपने परिवार के सदस्यों को कॉन्ट्रैक्ट, डील या फिर लीज पर जमीन नहीं दे सकते.

क्या है मामला

हेमंत सोरेन को रांची जिले के अनगड़ा ब्लॉक में 0.88 एकड़ ज़मीन का खनन पट्टा मिला था. दस्तावेजों के मुताबिक 28 मई 2021 को हेमंत सोरेन ने आवेदन दिया और उन्हें 15 जून 2021 को मंजूरी मिल गई थी. इसके बाद 9 सितंबर को पर्यावरण विभाग से मंजूरी मांगी गई जो 22 सितंबर को मिल गई.11 फरवरी 2022 को बीजेपी ने राज्यपाल से मिलकर शिकायत की कि ये लाभ के पद का मामला बनता है और सीएम खुद के नाम से खनन पट्टा नहीं ले सकते. इसके बाद हेमंत सोरेन ने 11 फरवरी 2022 को लीज सरेंडर करके खुद को अलग कर लिया. खनन के धंधे में हेमंत सोरेन सरकार के भ्रष्टाचार का भंडाफोड़ तब होना शुरू हुआ जब झारखंड की खनन सचिव रह चुकी पूजा सिंघल के ठिकानों पर प्रवर्तन निदेशालय ने छापेमारी शुरू की.

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