प्यार में प्रेमी-प्रेमिका का Kiss करना, ‘हग’ करना नेचुरल, हाईकोर्ट ने केस कर दिया डिसमिस, FIR रद्द
It is natural for lovers to kiss and hug each other in love. The High Court dismissed the case and cancelled the FIR.

Highcourt News: हाईकोर्ट ने यौन उत्पीड़न के मामले में अहम सुनवाई करते हुए प्रेमी को राहित दे दी। कोर्ट ने प्रेमी के खिलाफ दर्ज FIR को भी रद्द कर दिया। अदालत ने कहा, ‘प्यार करने वाले दो इंसानों के लिए एक-दूसरे को गले लगाना और चूमना स्वाभाविक है’.
ये कहते हुए कोर्ट ने एक लड़की के साथ कथित यौन उत्पीड़न मामले में आरोपी व्यक्ति के खिलाफ दर्ज कराई गई यौन उत्पीड़न (Sexual Harassment) एफआईआर रद्द कर दी।
इस जोड़े के प्यार को किसी की नजर लग गई थी। इसलिए मामला पहले थाने फिर आखिर में हाई कोर्ट की चौखट तक पहुंच गया.मद्रास हाईकोर्ट ने एक मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि प्रेम करने वाले युवक और युवती के बीच गले लगाना और चूमना स्वाभाविक बात है। कोर्ट ने यौन उत्पीड़न के आरोपों का सामना कर रहे एक युवक को राहत देते हुए ये महत्वपूर्ण टिप्पणी की।
जस्टिस आनंद वेंकटेश ने कहा कि आईपीसी की धारा 354-A (1) (i) के तहत अपराध होने के लिए पुरुष की तरफ से शारीरिक संपर्क बनाना जरूरी है और प्रेमी-प्रेमिका के बीच शारीरिक संपर्क जैसे गले लगाना या चूमना, स्वाभाविक है. यह किसी भी तरह से अपराध नहीं है।
कोर्ट से मिली प्रेमी को राहत
यह मामला संथनगणेश नामक व्यक्ति से संबंधित था. जिसने कोर्ट में याचिका दायर करते हुए ऑल वुमन पुलिस स्टेशन की ओर से उनके खिलाफ दर्ज की गई एफआईआर (FIR) को रद्द करने की मांग की थी. आरोप था कि शिकायतकर्ता ने 13 नवंबर 2022 को याचिकाकर्ता से मिलने के बाद बातचीत के दौरान उसे गले लगा लिया और चूम लिया.
इसके बाद शिकायतकर्ता ने इस घटना की जानकारी अपने माता-पिता को दी और फिर याचिकाकर्ता से शादी करने का आग्रह किया जिसे उसने नकार दिया. इसके बाद शिकायतकर्ता ने याचिकाकर्ता के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई थी।
कोर्ट ने दी मामले में अहम सुनवाई
कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई करते हुए याचिकाकर्ता को राहत दी और कहा कि यदि आरोपों को सच मान भी लिया जाए तो भी याचिकाकर्ता के खिलाफ कोई अपराध का केस नहीं बनता है. कोर्ट ने स्पष्ट किया कि इस मामले में कानूनी कार्रवाई की कोई आवश्यकता नहीं है.
यह फैसला प्रेम संबंधों में शारीरिक संपर्क को अपराध के रूप में न देखने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है। हाई कोर्ट ने माना कि कि भले ही FIR में लगाए गए आरोपों को सही माना जाए, लेकिन युवक ने युवती के खिलाफ कोई अपराध नहीं किया गया है. ऐसी परिस्थितियों में उसके खिलाफ आपराधिक कार्यवाही जारी रखने से कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग होगा.
यानी यह मामला किसी भी तरह से धारा 354-A (1)(i) के तहत अपराध नहीं बन सकता है, इसलिए केस रद्द किया जाता है। इस तरह इस असफल प्रेम कहानी का नायक संथानगणेश थाना-पुलिस-कचेहरी के तमाम कानूनी फंदों से छूट जाता है।