रांची देश विरोधी गतिविधि संचालित करने के आरोप में पटना पुलिस के हत्थे चढ़ा मोहम्मद जलालुद्दीन खान उर्फ जलाल खान 39 साल तक लगातार पुलिस विभाग में नौकरी की। वह 20 नवंबर 2018 से 27 जनवरी 2021 तक भेलवाघाटी गिरिडीह के थाना प्रभारी के रूप में भी कार्यरत था।

बुधवार को जलालुद्दीन और उसके साथी अतहर परवेज को बिहार से गिरफ्तार किया गया। इन पर पीएफआई की गतिविधि में संलिप्त पाए जाने का आरोप है ।ताजा घटनाक्रम में पता चला है कि इनकी गिरफ्तारी आईबी के अलर्ट के बाद की गई। दोनों पीएम मोदी के बिहार दौरे को लेकर कुछ बड़ी वारदात को अंजाम देने वाले थे लेकिन खुफिया एजेंसियों की सतर्कता के बाद इन दोनों को दबोच लिया गया ।

राजधानी पटना के फुलवारी शरीफ से गिरफ्तार अतहर परवेज और जलालुद्दीन की आतंकी संगठनों से सांठगांठ भी हैं। आईबी के इनपुट के बाद ही पटना पुलिस ने अतहर परवेज और जलालुद्दीन को गिरफ्तार किया है

अकाउंट से लाखों रुपए ट्रांजैक्शन के सबूत मिले

जानकारी के मुताबिक जलालुद्दीन और अतहर परवेज को पटना के बेउर जेल के स्पेशल सेल में रखा गया है।पटना पुलिस को इनके पास से विदेशों से फंडिंग मिलने की जानकारी मिली है इनके पास से एक बार 1400000 एक बार 3000000 और एक बार 4000000 रुपए के ट्रांजैक्शन का भी सबूत मिला है इन सभी बिंदुओं पर जांच की जा रही है। उम्मीद जताई जा रही है इस मामले में ईडी को भी इंवॉल्व कराया जाएगा ।इनके द्वारा स्थानीय जिला स्तर, राज्य स्तर ,राष्ट्रीय स्तर के पीएफआई, आर एस डी पी आई के सक्रिय सदस्य के रूप में आयोजित बैठक में भाग लेने का भी आरोप है। यह दोनों संप्रदायिक और देश विरोधी साजिश रचने का काम में लगे थे।

2047 तक इस्लामिक राष्ट्र बनाने का लक्ष्य तय किया था

बताया जा रहा है जिस मकान में वे रहते थे वहां मार्शल आर्ट और शारीरिक शिक्षा के नाम पर अस्त्र शस्त्र की ट्रेनिंग दी जा रही थी। इसके अलावा दोनों पर धार्मिक उन्माद फैलाने और आतंकवादी गतिविधि का कार्य करने की बात सामने आई है। गोपनीय ढंग से प्रशिक्षण कार्यक्रम में काफी लोग प्रशिक्षित किए गए हैं प्रशिक्षण में शामिल लोग को भी अपने अपने क्षेत्र में जाकर अधिक से अधिक लोगों को प्रशिक्षित करने का निर्देश दिया जाता था। जब इन ठिकानों पर छापेमारी की गई तो पुलिस को पीएफआई का झंडा, पंपलेट ,बुकलेट एवं गुप्त दस्तावेज मिले हैं जिसमें 2047 तक भारत को इस्लामिक राष्ट्र बनाने के लिए मुहिम चलाने से संबंधित दस्तावेज बरामद हुआ है।

39 सालों तक पुलिस विभाग में नौकरी की

पटना पुलिस ने पीएम मोदी को जान से मारने के लिए साजिश रचने के आरोप में जिन दो लोगों को गिरफ्तार किया गया है उसमें एक मोहम्मद जलालुद्दीन ने बिहार और झारखंड में करीब 39 सालों तक पुलिस की नौकरी की। अपने पुलिस नौकरी के दौरान रांची, हजारीबाग, गिरिडीह जैसे कई जिलों में तैनात रहा था। मोहम्मद जलालुद्दीन की पहली बहाली 22 जनवरी 1982 में हुई थी। पटना में बतौर आरक्षी के पद पर नियुक्त होने के बाद झारखंड के विभिन्न थानों में उनकी नियुक्ति की गई थी।

बहाली के बाद 10 साल तक पटना में पोस्टिंग रही

जानकारी के अनुसार बहाली के 10 सालों तक जलालुद्दीन पटना में ही पदस्थापित रहा। 1992 में पटना से आरक्षी के पद पर ही उनका तबादला झारखंड के गोड्डा जिला में किया गया । तब से लगातार झारखंड के अलग अलग जिलों में उनकी पोस्टिंग रही। 30 अप्रैल 2021 को गिरिडीह जिले से रिटायर हुआ।

रिटायरमेंट के ठीक पहले जलालुद्दीन की पोस्टिंग गिरिडीह के नक्सल प्रभावित भेलवाघाटी थाना में दरोगा के पद पर रही थी।

कब कब कहां कहां झारखंड में रही पोस्टिंग

गोड्डा जिले में 14 दिसंबर 1992 को आरक्षी के पद पर योगदान देने के बाद 6 सितंबर 2008 तक वही तैनात रहा । इसके बाद उसकी पोस्टिंग रांची में 13 सितंबर 2008 से 17 मई 2010 तक रही। रांची में रहते हुए जलालुद्दीन को एएसआई में प्रोन्नति मिली । इसके बाद वह हजारीबाग में बतौर एएसआई पदस्थापित हुआ। इसके बाद हजारीबाग में पेलावल , चरही जैसे थानों में 21 मई 2010 से 5 सितंबर 2018 तक पदस्थापित रहा। पुलिस मुख्यालय से दारोगा में प्रोन्नति मिलने के बाद हजारीबाग से गिरिडीह में जलालुद्दीन की पोस्टिंग हुई। गिरिडीह में 20 नवंबर 2018 से 27 जनवरी 2021 तक भेलवाघाटी थाने में पदस्थापित रहा।

पुलिस विभाग में छवि थी बेहतर

झारखंड पुलिस मुख्यालय ने पटना में जलालुद्दीन की गिरफ्तारी के बाद उसके संबंध में अपने स्तर से पड़ताल कर रही है। हालांकि अब तक की जांच में यह बात सामने आई है कि मोहम्मद जलालुद्दीन की पुलिस सेवा का रिकॉर्ड साफ सुथरा रहा है यही वजह है कि समय पर उसकी प्रोन्नति भी होती रही। सिपाही के पद पर बहाल होने के बाद 39 सालों तक पुलिस विभाग में काम करते हुए वह दरोगा के पद से रिटायर हुआ।

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