रांची। झारखंड की राजनीति में 10 दिन से ज्यादा वक्त से छाया धुंध छंटने का नाम नहीं ले रहा है। ना तो राजभवन ने चुप्पी तोड़ी है और ना ही चुनाव आयोग का कोई संदेशा है, लिहाजा इस खामोशी ने झारखंड की सत्ताधारी पार्टी में खलबली मचा दी है। इधर, झारखंड के राज्यपाल रमेश बैस अभी तक रांची नहीं लौटे हैं। राजभवन के सूत्रों का कहना है कि वे फिलहाल दिल्ली एम्स में अपना रूटीन चेकअप करवा रहे हैं। इधर शक्ति परीक्षण के बाद भी झामुमो की बेचैनी बढ़ी हुई है। यूपीए लगातार ये मांग कर रहा है कि राजभवन को इस सस्पेंस को अब खत्म करना चाहिये। इधर, राजभवन की इस चुप्पी पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि इसपर हम क्या कहेंगे. जो जिम्मेदार लोग हैं, उनको बोलना चाहिए. मुख्यमंत्री ने राजभवन से हो रही देरी के सवाल पर कहा कि जिन लोगों की जिम्मेदारी है, उनसे सवाल किया जाना चाहिए।

विधानसभा सत्र में हम इसलिए बोले, क्योंकि वह हमसबों का क्लासरूम था। क्लासरूम में छात्रों को बोलने का अधिकार होता है।  मंत्री मिथिलेश ठाकुर ने कहा कि मुख्यमंत्री ने अपना कर्तव्य पूरा कर दिया, लेकिन राजभवन खामोश क्यों है. लोकतंत्र में यह आचरण ठीक नहीं है।  उन्होंने कहा कि राजभवन कहीं ना कहीं से प्रभावित हो रहा है।  उन्होंने कहा कि अगर किसी वजह से देर हो रही है तो राजभवन के अधिकारी एक विज्ञप्ति जारी कर ही सकते हैं. लेकिन विज्ञप्ति भी जारी नहीं कर रहे हैं।

चुनाव आयोग की तरफ से सीएम की सदस्यता पर अपना मंतव्य दिए 14 दिन बीत गए, राजभवन पूरी तरह इस मामले पर शांत बैठा है। इधर सत्ताधारी दल के विधायक पहले रांची फिर रायपुर में पॉलिटिकल पिकनिक मनाने के बाद अपने-अपने क्षेत्रों में करम पर्व पर आयोजित कार्यक्रम में शामिल होने लौट गए। हालांकि सीएम हेमंत सोरेन की तरफ से इन्हें सख्त हिदायत दी गई है कि जैसे ही रांची बुलाया जाए सभी अपने काम छोड़कर तुरंत रांची लौटे।

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