झारखंड का नया DGP : अनिल पालटा, प्रशांत सिंह या एमएस भाटिया ? डीजीपी की रेस में जानिये कौन हैं आगे, केंद्र सरकार की शर्तों में ये अफसर होंगे फिट..

Jharkhand DGP Appointment : झारखंड का नया डीजीपी कौन होगा? 1 जनवरी 2026 से नए पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) की नियुक्ति होनी है, लिहाजा ब्यूरोक्रेसी में इस सवाल को लेकर चर्चा सरगर्म है। झारखंड की प्रभारी डीजीपी तदाशा मिश्रा 31 दिसंबर को रिटायर हो रही है। ऐसे में नये साल से नये डीजीपी को बागडोर संभालनी है। वैसे डीजीपी की बात करें तो डीजी रैंक के केवल तीन वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी उपलब्ध हैं।
ऐसे में सरकार के सामने सीमित विकल्प हैं, जबकि नियुक्ति प्रक्रिया और नियमावली को लेकर संवैधानिक और प्रशासनिक सवाल भी खड़े हो रहे हैं।नए साल की शुरुआत में अब महज कुछ ही दिन शेष हैं और 1 जनवरी 2026 से झारखंड को नया पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) मिलना है। हालांकि, अब तक यह तय नहीं हो पाया है कि राज्य की कमान किस वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी के हाथों में सौंपी जाएगी।
डीजी रैंक में राज्य में सिर्फ तीन अधिकारी
वरीयता सूची पर नजर डालें तो झारखंड में फिलहाल डीजी रैंक के केवल तीन आईपीएस अधिकारी कार्यरत हैं। इनमें शामिल हैं—
• अनिल पाल्टा (IPS 1990 बैच), वर्तमान में डीजी रेल
• प्रशांत सिंह (IPS 1992 बैच), वर्तमान में डीजी वायरलेस
• मनविंदर सिंह भाटिया (IPS 1992 बैच), वर्तमान में डीजी होमगार्ड एवं फायर सर्विस
तीनों ही अधिकारियों के पास लंबा प्रशासनिक और पुलिसिंग अनुभव है और उनकी छवि अब तक बेदाग मानी जाती रही है।
वरिष्ठ बैच के अन्य विकल्प लगभग खत्म
प्रभारी डीजीपी तदाशा मिश्रा 1994 बैच की आईपीएस अधिकारी हैं। इसी बैच की अधिकारी संपत मीणा पहले ही केंद्र में डीजी रैंक में इम्पैनल हो चुकी हैं, ऐसे में उनके झारखंड लौटने की संभावना बेहद कम मानी जा रही है। अगर 1995 बैच को डीजी रैंक में शामिल किया जाए, तो इस बैच में केवल डॉ. संजय आनंदराव लाटकर ही हैं, जो फिलहाल केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर हैं। इस वजह से राज्य सरकार के सामने व्यावहारिक तौर पर सिर्फ तीन ही नाम विकल्प के रूप में बचे हैं।
अपनी नियमावली से डीजीपी नियुक्त कर सकती है सरकार
राज्य सरकार के पास यह विकल्प भी है कि वह अपनी ही नियमावली के तहत डीजीपी की नियुक्ति करे। इसके लिए सरकार ने ‘महानिदेशक एवं पुलिस महानिरीक्षक, झारखंड (पुलिस बल प्रमुख) का चयन एवं नियुक्ति नियमावली 2025’ बनाई थी।इस नियमावली के नियम 10(1) के तहत डीजीपी की नियुक्ति की जा सकती है। इसी नियमावली के आधार पर पहले अनुराग गुप्ता को डीजीपी नियुक्त किया गया था।
हालांकि, इस नियमावली को लेकर पहले ही विवाद हो चुका है, क्योंकि संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) ने इसे मान्यता देने से इनकार कर दिया था। यदि सरकार एक बार फिर इसी नियमावली से डीजीपी का चयन करती है, तो मामला दोबारा विवादों में घिर सकता है।
दो साल के कार्यकाल की शर्त
डीजीपी की नियुक्ति दो वर्षों के लिए की जानी है। नियमों के अनुसार, ऐसे आईपीएस अधिकारी जिनकी सेवानिवृत्ति में कम से कम छह महीने का समय शेष हो, उन्हें दो साल के लिए डीजीपी नियुक्त किया जा सकता है।अनिल पाल्टा, प्रशांत सिंह और एमएस भाटिया—तीनों ही अधिकारी इस शर्त को पूरा करते हैं।
वरिष्ठ स्तर पर अधिकारियों की भारी कमी
झारखंड पुलिस में वरिष्ठ अधिकारियों की भारी कमी भी इस समय एक बड़ी चुनौती बनी हुई है। कई अहम विभाग अतिरिक्त प्रभार के भरोसे चल रहे हैं।
• विशेष शाखा (इंटेलिजेंस) लंबे समय से आईजी रैंक के अधिकारी के अधीन है
• अपराध अनुसंधान विभाग (CID) भी आईजी स्तर पर संचालित हो रहा है
• एसीबी की एडीजी प्रिया दुबे के पास जैप और प्रशिक्षण-आधुनिकीकरण का भी प्रभार है
• आईजी जेल सुदर्शन मंडल के पास आईजी मुख्यालय का अतिरिक्त प्रभार है
• रांची रेंज में डीआईजी का पद लंबे समय से रिक्त है
इसके अलावा कई आईआरबी, एसआईआरबी और एसआईएसएफ बटालियनों के प्रमुख पद भी अतिरिक्त प्रभार से चल रहे हैं।
1 जनवरी को नए डीजीपी की उम्मीद
सूत्रों के मुताबिक, प्रभारी डीजीपी तदाशा मिश्रा को सेवा विस्तार देने से संबंधित कोई फाइल आगे नहीं बढ़ी है। ऐसे में यह लगभग तय माना जा रहा है कि 1 जनवरी 2026 को झारखंड को नया डीजीपी मिलेगा।अब सभी की निगाहें राज्य सरकार के फैसले पर टिकी हैं कि वह यूपीएससी के रास्ते जाएगी या फिर अपनी नियमावली के तहत डीजीपी की नियुक्ति करेगी।



















