हिमंता विस्वा सरमा ने चंपाई सोरेन की ऐसी की खातिरदारी, गदगद चंपाई सोरेन बोले, शानदार आतिथ्य के लिए....देखिये खाने में क्या-क्या....
Champai Soren: भाजपा में शामिल होने के बाद चंपाई सोरेन एक्शन में हैं। वो लगातार जंनसंपर्क भी कर रहे हैं और मंदिरों में माथा भी टेक रहे हैं। इसी कड़ी में चंपाई सोरेन मां कामाख्या के दर्शन के लिए गुवाहाटी पहुंचे हैं।
गुवाहाटी में देवी दर्शन के बाद पूर्व मुख्यमंत्री ने असम के मुख्यमंत्री हिमंता विस्वा सरमा से मुलाकात की है। हिमंता विस्वा सर्मा ने चंपाई सोरेन की जमकर खातिरदारी की है। सोशल मीडिया में हिमंता ने चंपाई सोरेन के साथ तस्वीर भी पोस्ट की है।
हिमंता विस्वा सरमा ने सोशल मीडिया हैंडल पर लिखा है कि रिनीकी और मुझे झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री एवं वरिष्ठ नेता चंपाई सोरेन और उनके परिवार की आवभगत करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। माँ कामाख्या के दर्शन करने हेतु चंपाई जी गुवाहाटी पधारे। उन्हें असमिया व्यंजनों से परिचित कराने का अवसर भी मिला। उनके अनुभवों से हमें बहुत कुछ सीखने को मिला।
इधर शानदार मेहमाननवाजी से गदगद चंपाई सोरेन ने भी हिमंता विश्वा सरमा को धन्यवाद दिया है। उन्होंने लिखा है कि शानदार आतिथ्य के लिए मुख्यमंत्री हिमंता विस्वा सरमा एवं उनके परिवार को धन्यवाद! माँ कामाख्या देवी की कृपा आप पर सदैव बनी रहे।
विश्व प्रसिद्ध है कामाख्या देवी मंदिर
माता कामाख्या देवी मंदिर पूरे भारत में प्रसिद्ध है। यह मंदिर 52 शक्तिपीठों में से एक है। भारतवर्ष के लोग इसे अघोरियों और तांत्रिक का गढ़ मानते हैं। असम की राजधानी दिसपुर से लगभग 10 किमी दूर नीलांचल पर्वत पर स्थित है। मंदिर की खास बात यह है कि यहां न तो माता की कोई मूर्ति है और न ही कोई तस्वी र।
बल्कि यहां एक कुंड है, जो हमेशा ही फूलों सें ढंका हुआ रहता है। इस मंदिर में देवी की योनी की पूजा होती है। आज भी माता यहां पर रजस्वला होती हैं। मंदिर धर्म पुराणों के अनुसार विष्णु भगवान ने अपने चक्र से माता सती के 51 भाग किए थे। जहां-जहां यह भाग गिरे वहां पर माता का एक शक्तिपीठ बन गया।
शानदार आतिथ्य के लिए माननीय मुख्यमंत्री श्री @himantabiswa जी एवं उनके परिवार को धन्यवाद! माँ कामाख्या देवी की कृपा आप पर सदैव बनी रहे। https://t.co/7hPJ9P90wn
— Champai Soren (@ChampaiSoren) September 7, 2024
इस जगह पर माता की योनी गिरी थी, इसलिए यहां उनकी कोई मूर्ति नहीं बल्कि योनी की पूजा होती है। आज यह जगह शक्तिशाली पीठ है। दुर्गा पूजा, पोहान बिया, दुर्गादेऊल, बसंती पूजा, मदान देऊल, अम्बुवासी और मनासा पूजा पर इस मंदिर की रौनक देखते ही बनती है।