गुरुग्राम। किडनी गैंग का तार झारखंड से जुड़ गया है। किडनी प्रत्यारोपण गैंग का मास्टरमाइंड झारखंड के रांची का रहने वाला है। दरअसल अवैध रूप से मानव अंगों के प्रत्यारोपण को लेकर जयपुर के दो अस्पतालों में कार्रवाई के बाद गुरुग्राम भागकर आए किडनी प्रत्यारोपण गिरोह के सरगना मो. मुर्तजा अंसारी की तलाश तेज हो गई। वह तीन अप्रैल को गुरुग्राम के सेक्टर-39 स्थित बाबिल गेस्ट हाउस में आखिरी बार देखा गया था।

जानकारी के मुताबिक तभी से ही वह फरार है। वह झारखंड के रांची का रहने वाला था। उसकी लोकेशन ट्रेस होने के बाद गुरुग्राम पुलिस टीम उसके पीछे रविवार को रांची के लिए रवाना हो गई। रांची झारखंड निवासी मोहम्मद मुर्तजा अंसारी ने बांग्लादेश में भी अपना नेटवर्क फैलाया हुआ है। असल में डोनर व रिसीवर ढूंढने का सारा मुख्य काम बांग्लादेश में सक्रिय नेटवर्क के लोग ही करते हैं। सिविल हॉस्पिटल में एडमिट लोगों से बातचीत के दौरान ये अहम खुलासे सामने आए हैं।

बांग्लादेशी नागरिकों में शामिल दो किडनी रिसीवर ने बताया कि ये किडनी के इलाज के लिए बांग्लादेश के ढाका में निजी हॉस्पिटल जाते थे। वहीं पर ये लोग इस रैकेड के संपर्क में आए। वहां मिले लोगों ने दावा किया कि आपको किडनी चाहिये तो हम डोनर ढूंढ देंगे और भारत के बेहतरीन हॉस्पिटल में आपका ट्रांसप्लांट भी करा देंगे। इसके लिए तय रेट 24 लाख टका भी वो नेटवर्क के लोग ही बताते थे।

किडनी डोनर ने बताया कि उन्हें 4 लाख टका किडनी देने के लिए मिलते हैं। बाकी 20 लाख टका मुर्तजा अंसारी को मिलते थे। जिसमें से ये नेटवर्क के लोगों को उनका हिस्सा देता था। फिर इन रिसीवर-डोनर की भारत आने की फ्लाइट टिकट, वीजा, होटल या गेस्ट हाउस में ठहरना, इलाज व टेस्ट का खर्च आदि सभी मुर्तजा ही उठाता था।

सेक्टर-39 के गेस्ट हाउस में मिले 5 लोगों में 31 साल के मोहम्मद अहसानुल, 34 साल के मेहंदी हसन शमीम, 56 साल के नुरुल इस्लाम, 25 साल के सईद आकिब महमूद और 30 साल के मोहम्मद आजाद हुसैन शामिल हैं। मोहम्मद अहसानुल की किडनी खराब थी। इसे मोहम्मद हसन ने किडनी दी और मोहम्मद हसन बांग्लादेश वापस जा चुका है। मेहंदी हसन शमीम ने नुरुल इस्लाम को किडनी दी है और इसे 4 लाख टका मिल चुके हैं। सईद आकिब महमूद को मोहम्मद आजाद हुसैन से किडनी मिलनी थी लेकिन इसका ट्रांसप्लांट नहीं हो सका। सईद आकिब महमूद को इंफेक्शन था और इसके चलते किडनी ट्रांसप्लांट आने वाले दिनों में होना था। लेकिन ट्रांसप्लांट से पहले ही रैकेट पकड़ा गया।

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