झारखंड : गोड़ाडीह पंचायत में प्यास की मार! चुआं का पानी पीने को मजबूर हैं ग्रामीण, नहीं हो रहा समाधान!
Jharkhand: Thirst hits Godadih Panchayat! Villagers are forced to drink well water, no solution is being found!

झारखंड के सिल्ली विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत गोड़ाडीह पंचायत में भीषण जलसंकट है.गोड़ाडीह पंचायत के ठुंगरुडीह और हेसाडीह गांव में लोगों को पेयजल के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ती है. हालात इतने खराब हैं कि लोगों को डांड़ी का पानी पीकर गुजारा करना पड़ता है. ठुंगरुडीह के ग्रामीणों ने बताया कि 40 परिवारों के करीब 200 लोग रोजाना डांड़ी का पानी पीने को विवश हैं.
उन्होंने बताया कि वर्ष 2020 में गांव में 4 हजार लीटर की क्षमता वाला सोलर जलमीनार लगा था लेकिन 5 महीने पहले यह खराब हो गया.
इस बस्ती में नल-जल योजना के तहत एक और जलमीनार का निर्माण होना था लेकिन अभी तक काम शुरू नहीं हुआ है. लोग दुर्गम रास्तों से गुजरते हुए पहाड़ी के नीचे डांड़ी का पानी लाकर रोजमर्रा की जरूरतें पूरी करते हैं.
गोड़ाहीह पंचायत के हेसाडीह में पेयजल संकट
इसी पंचायत के हेसाडीह गांव में भी भीषण जलसंकट है. इस गांव में कुल 60 घर हैं जिनको पीने का शुद्ध पेयजल नहीं मिलता.
गांव की महिलायें दुर्गम पथरीले रास्ते से होकर कोचा नदी के खरा कांचा सोतिया जाती हैं. वहां बालू खोदने पर धीरे-धीरे पानी जमा होता है जिसका इस्तेमाल पेयजल सहित अन्य जरूरतों के लि किया जाता है.
गौरतलब है कि इसी जलस्त्रोत के एक हिसेस में लोग स्नान और कपड़े धोने का काम करते हैं.
नल-जल योजना का लाभ लक्ष्य से काफी पीछे छूटा
गौरतलब है कि झारखंड के ग्रामीण इलाकों में भीषण जलसंकट है.
लोग आज भी तालाब, झरना, डांड़ी और चुआड़ी का पानी पीने को विवश हैं. पहाड़ी इलाकों में तो स्थिति और भी खराब है. साहिबगंज जिले में पहाड़िया बहुल गांव में 7 लोगों के डायरिया से पीड़ित होने की खबर सामने आई है. झारखंड में 64 लाख से ज्यादा परिवारों को नल-जल योजना से जोड़ने के लक्ष्य के मुकाबले अब महज 32 लाख परिवारों तक ही योजना पहुंच सकी है.
हाल ही में वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर ने केंद्र सरकार से नल-जल योजना की राशि देने को कहा है. झारखंड गठन को 25 साल हो गये लेकिन आज भी लोगों को शुद्ध पेयजल नसीब नहीं हुआ.