रांची। झारखंड के डाक्टर इन दिनों गुस्से में हैं। ये गुस्सा सरकार के उस फरमान से हैं, जिसमें प्राइवेट प्रैक्टिस को लेकर टाइम और जगह की लिमिट तय कर दी गयी है। दरअसल झारखंड सरकार ने सरकारी डाक्टरों के लिए नयी सर्विस गाइडलाइन जारी की है। इसके तहत डाक्टरों को कब, कहां और किस सीमा तक अपना प्रैक्टिस करना है, उसका टाइम और डिस्टेंस लिमिट दर्ज है।

राज्य के सरकारी डाक्टर शासन के इस निर्देश को लेकर नाराज चल रहे हैं। डाक्टरों का कहना है कि जब सरकार NPA नहीं देती है, तो फिस वो कैसे तय कर सकती है कि ड्यूटी टाईम के बाद क्या करते हैं और कहां काम करते हैं। IMA भवन में आज आपात बैठक आयोजित की गयी, जिसमें झारखंड हेल्थ सर्विसेस एसोसिएशन झासा और IMA के पदाधिकारी भी मौजूद थे। बैठक में सरकार के फैसले पर तीखी नाराजगी जतायी गयी।

बैठक में सिविल सर्जन सहित कई डाक्टर और चिकित्सा पदाधिकारी शामिल हुए। बैठक में डाक्टरों ने साफ तौर पर कहा कि वो किसी भी मरीज का इलाज करने से पीछे नहीं हट सकते हैं। आपको बता दें कि इस मामले में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) झारखंड ने विरोध किया था। इसे लेकर आईएमएम झारखंड के अध्यक्ष डॉ एके सिंह और सचिव डॉ प्रदीप कुमार सिंह ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर विरोध जताया था। इसकी कॉपी स्वास्थ्य मंत्री और विभाग के अपर मुख्य सचिव को भी भेजी गई थी।

क्या है सरकार का निर्देश, जिससे हैं डाक्टर नाराज

सरकार ने कहा है कि एक ही समय कई प्राइवेट डॉक्टर कई अस्पतालों में काम करते हैं। इससे इलाज की गुणवत्ता प्रभावित होती है। इसलिए प्राइवेट चिकित्सक ड्यूटी डॉक्टर के रूप में एक ही अस्पताल में काम कर सकते हैं। प्राइवेट विशेषज्ञ डॉक्टर अधिकतम चार अस्पतालों में ही इलाज कर सकते हैं। डॉ सिंह के अनुसार राज्य में डॉक्टरों की घोर कमी है। ऐसे में यह नीयत डॉक्टरों और मरीजों दोनों के लिए घातक साबित होगा। सरकार ने यह भी निर्णय लिया है कि शहरी क्षेत्र में सरकारी चिकित्सक सरकारी अस्पताल परिसर से 500 मीटर तथा ग्रामीण क्षेत्र में 250 मीटर के परिधि के बाहर की निजी प्रैक्टिस कर सकते हैं। पदस्थापन के जिला के बाहर निजी प्रैक्टिस पर रोक रहेगी। अस्पताल परिसर में स्थित सरकारी आवास में निजी प्रैक्टिस को अवैध करार दिया जाएगा। सरकारी सेवा में कार्यरत चिकित्सा पदाधिकारी अपने निजी क्लीनिक में मरीज को भर्ती कर इनडोर सेवा नहीं देंगे।

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