झारखंड : शिक्षकों को अक्टूबर महीने में मिलेगी नयी ड्यूटी, बच्चों के घर-घर घूमकर करेंगे ये काम, शिक्षा विभाग ने ट्रेनिंग देने की कर ली है तैयारी
Jharkhand: Teachers will get new duty in the month of October, they will do this work by visiting children's homes, the education department has made preparations to give training

रांची। झारखंड सरकार ने शिक्षा की गुणवत्ता और नामांकन बढ़ाने की कवायद में जुटी है। इसके तहत अब बच्चों के पंजी को अपडेट करने की प्रक्रिया शुरू होगी। आगामी अक्टूबर शिक्षक घर-घर जाकर विशेष सर्वे शुरू करेंगे। इसके तहत सभी श्रेणी के विद्यालयों के शिक्षक घर-घर जाकर जानकारी जुटाएंगे और शिशु पंजी को अद्यतन करेंगे।
शिशु पंजी क्यों है जरूरी
दरअसल प्रत्येक वर्ष शिशु पंजी सर्वे कराया जाता है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि 3 से 18 वर्ष आयु वर्ग का कोई भी बच्चा स्कूल से बाहर न रहे। समग्र शिक्षा अभियान की वार्षिक कार्य योजना एवं बजट (2026-27) तैयार करने के लिए यह डेटा आधार बनेगा। इसमें नामांकित बच्चों की संख्या, स्कूल छोड़ने वाले (ड्रॉप आउट) और अनामांकित बच्चों की वास्तविक स्थिति का आकलन किया जाएगा।
हैबिटेशन मैपिंग होगी पहली प्रक्रिया
जानकारी के मुताबिक शिशु पंजी अपडेट करने से पहले प्रत्येक गांव और टोले की हैबिटेशन मैपिंग की जाएगी। इससे स्पष्ट हो जाएगा कि कौन-कौन से टोले या बस्तियां किस विद्यालय से जुड़ी हुई हैं। इस कार्य की जिम्मेदारी प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी (BEEO), अवर विद्यालय निरीक्षक, आउट-ऑफ-स्कूल प्रभारी और बीपीओ को दी गई है।
सभी प्रकार के विद्यालयों को जिम्मेदारी
यह कार्य केवल सरकारी विद्यालयों तक सीमित नहीं होगा। सरकारी, सहायता प्राप्त, अल्पसंख्यक संस्थानों, संस्कृत विद्यालयों और मदरसों के शिक्षकों को भी इसमें शामिल किया गया है। विद्यालयों के प्रधानाध्यापक और संबंधित सीआरपी अपने शिक्षकों और पारा शिक्षकों को गांव-टोले से जोड़ेंगे।
सर्वे का तरीका और जिम्मेदारी
इस बार शिशु पंजी अपडेट करने के लिए पारंपरिक पोषक क्षेत्र (catchment area) की अवधारणा लागू नहीं होगी। घर-घर सर्वे के लिए गांवों और घरों को शिक्षकों की संख्या के आधार पर विभाजित किया जाएगा, ताकि प्रक्रिया जल्दी और प्रभावी ढंग से पूरी हो सके।
सर्वे में लापरवाही बरतने वाले पदाधिकारियों और शिक्षकों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। इसके लिए प्रत्येक विद्यालय को समीपवर्ती टोला और गांव से टैग किया जाएगा।झारखंड शिक्षा परियोजना परिषद ने इस कार्य के लिए स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी कर दिए हैं। 12 सितंबर को प्रखंड स्तरीय पदाधिकारियों, बीआरपी, सीआरपी और अन्य कर्मियों को प्रशिक्षण दिया जाएगा। इसके बाद वे विद्यालयवार सर्वे टीमों का गठन करेंगे।









