झारखंड: 585 पदों के विज्ञापन को लेकर शुरू हुआ विवाद, आंदोलन पर उतारू हुए युवा, जानिये किन अहर्ताओं को लेकर….
Jharkhand: Controversy started over the advertisement of 585 posts, youth started agitation, know about the eligibility criteria...

Jharkhand JOB : चतुर्थ वर्गीय (फोर्थ ग्रेड) पदों पर नियुक्ति के लिए जारी हुए विज्ञापन पर विवाद का साया पड़ गया है। विज्ञापन की शर्तों और अहर्ताओं को लेकर युवा आंदोलन पर उतर आये हैं। पूरा मामला पलामू जिले का है, जहां जिला प्रशासन द्वारा 2025 में जारी किए गए इस विज्ञापन के तहत 585 पदों पर बहाली होनी है, लेकिन इसकी जड़ें सीधे 2010 में निकाले गए पुराने विवादित विज्ञापन से जुड़ती हैं।
2010 की बहाली, 2018 में नियुक्ति, फिर सुप्रीम कोर्ट से बर्खास्तगी
आपको बता दें कि वर्ष 2010 में पलामू जिले में अनुसेवक के पद पर नियुक्ति के लिए विज्ञापन निकाला गया था। यह बहाली प्रक्रिया कई सालों तक चली और 2017-18 में जाकर पूरी हुई। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने 251 चयनित अनुसेवकों की नियुक्ति को अमान्य कर दिया और सभी को बर्खास्त करने का आदेश दिया। साथ ही कोर्ट ने निर्देश दिया कि छह माह के भीतर नई बहाली की जाए और पूर्व चयनित अभ्यर्थियों को उम्र सीमा में राहत दी जाए।
2025 की बहाली और फिर से उठा विवाद
2025 में जारी हुए ताज़ा विज्ञापन में कुछ महत्वपूर्ण बदलाव किए गए हैं, जो नए विवाद की जड़ बन गए हैं। जहां 2010 में न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता आठवीं पास रखी गई थी, वहीं इस बार मैट्रिक पास अनिवार्य किया गया है। साथ ही इस बार चयन प्रक्रिया में मैट्रिक के अंकों के आधार पर मेरिट बनाने की बात कही गई है।
आरक्षण रोस्टर और स्थानीय अभ्यर्थियों की मांग
2025 के विज्ञापन में कुल 585 पदों में से 268 अनारक्षित, 162 अनुसूचित जाति, 35 अनुसूचित जनजाति, 42 अत्यंत पिछड़ा वर्ग, 25 पिछड़ा वर्ग और 53 पद आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) के लिए आरक्षित हैं। वहीं 2010 के विज्ञापन में आरक्षण रोस्टर का स्पष्ट उल्लेख नहीं था, जिससे उस समय भी विवाद हुआ था।
प्रदर्शन कर रहे अभ्यर्थियों की मांग है कि स्थानीय लोगों को प्राथमिकता दी जाए और बहाली की प्रक्रिया में पारदर्शिता हो। साथ ही कुछ युवाओं का कहना है कि बहाली प्रक्रिया में लिखित परीक्षा होनी चाहिए, ताकि मेरिट स्पष्ट हो सके और भ्रष्टाचार की गुंजाइश न रहे।
आंदोलन की राह पर युवा और पूर्व अनुसेवक
2010 के विज्ञापन से चयनित लेकिन अब बर्खास्त किए गए अनुसेवक और नए अभ्यर्थी, दोनों ही 2025 के विज्ञापन को लेकर सड़कों पर उतर आए हैं। उनका कहना है कि सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार प्रक्रिया तो शुरू की है, लेकिन चयन प्रक्रिया में पारदर्शिता, स्थानीयता और योग्यता को लेकर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं।