झारखंड: पप्पू के नाम दर्ज है 15 साल के आतंक की कहानी, नक्सली से कमांडर तक पहुंचा, लेकिन फिर कर दी गद्दारी, मिलने वाली थी सजा-ए-मौत, लेकिन ऐन मौके पर…

Jharkhand: Pappu has a story of 15 years of terror in his name, he rose from Naxal to Commander, but then betrayed, was about to get death sentence, but at the last moment...

Jharkhand Naxal News | झारखंड पुलिस ने जिस खूंखार नक्सली पप्पू लोहारा को मुठभेड़ में ढेर किया है, उसके आतंक की कहानी 15 साल पुरानी है। झारखंड जनमुक्ति परिषद (जेजेएमपी) का सुप्रीमो और मोस्ट वांटेड नक्सली पप्पू लोहरा झारखंड पुलिस की हिट लिस्ट में सबके ऊपर था। कई बार वो पुलिस के निशाने पर आया भी, लेकिन हर बार बच निकलता था, लेकिन लातेहार जिले के इचाबार जंगलों में शुक्रवार रात हुई इस मुठभेड़ में उसके साथ उसका एक अन्य साथी प्रभात भी ढेर हो गया।। पप्पू ने ना सिर्फ करोड़ों की लेवी वसूली थी, बल्कि दर्जनों लोगों की हत्याएं भी की थी।

 

नक्सली से कमांडर तक और फिर गद्दारी

पप्पू लोहरा झारखंड के सबसे खतरनाक नक्सलियों में गिना जाता था और पिछले करीब 15 वर्षों से उसने दहशत का माहौल बना रखा था। पप्पू लोहरा पहले माओवादियों के 42 नंबर प्लाटून का कमांडर था। यह प्लाटून लातेहार, लोहरदगा और गढ़वा के सीमावर्ती इलाकों में सक्रिय था। लेकिन 2009-10 के आसपास माओवादी संगठन ने पप्पू पर धोखाधड़ी और अनुशासनहीनता का आरोप लगाया था। पप्पू लोहरा पर माओवादियों के टॉप कमांडरों ने गड़बड़ी का आरोप लगाया था. उसी दौरान लातेहार के कुजरूम में माओवादी जनअदालत लगाकर पप्पू लोहरा को मौत की सजा देना तय किया गया था, लेकिन जनअदालत से पहले पप्पू लोहरा माओवादियों के चंगुल से फरार हो गया और फिर जेजेएमपी में शामिल हो गया।

 

माओवादियों के खिलाफ छेड़ी जंग

जेजेएमपी में शामिल होने के बाद पप्पू लोहरा ने माओवादियों के खिलाफ कई मोर्चे खोले। उसकी वजह से माओवादी बुढ़ा पहाड़ से लेकर सरयू घाटी जैसे सुरक्षित ठिकानों को छोड़ने को मजबूर हो गए। पप्पू को माओवादियों के ठिकानों, शस्त्रागार और रणनीतियों की गहरी जानकारी थी, जिसका फायदा उठाकर उसने कई हमलों को अंजाम दिया और हथियारों पर कब्जा कर लिया।

 

लेवी वसूली में माहिर, करोड़ों का नेटवर्क

पप्पू लोहरा की पहचान एक खतरनाक लेवी वसूलीकर्ता के रूप में भी थी। पलामू, गढ़वा और लातेहार जिलों में उसका नेटवर्क फैला हुआ था। बड़े ठेकेदारों, व्यापारी वर्ग और सरकारी परियोजनाओं से वह जबरन करोड़ों रुपये की वसूली करता था। कई बार उसने लेवी वसूली के लिए नक्सली हमलों को अंजाम दिया था।

 

कई बार बचा, लेकिन इस बार नहीं

झारखंड पुलिस और सुरक्षा बल पिछले एक दशक से पप्पू लोहरा को पकड़ने की कोशिश में जुटे थे। कई बार वह पुलिस के साथ हुई मुठभेड़ों में बाल-बाल बचा, लेकिन इस बार किस्मत ने उसका साथ नहीं दिया। शुक्रवार रात लातेहार के इचाबार इलाके में हुई भीषण मुठभेड़ में आखिरकार पुलिस ने उसे मार गिराया।झारखंड पुलिस के लिए यह एक बड़ी जीत मानी जा रही है। पप्पू लोहरा की मौत से जेजेएमपी को करारा झटका लगा है। पुलिस का कहना है कि यह मुठभेड़ लंबे समय से चल रही रणनीति का हिस्सा थी और आगे भी नक्सलियों के खिलाफ अभियान और तेज किया जाएगा।

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