झारखंड: 7642 स्कूल में सिर्फ एक-एक ही शिक्षक पदस्थ, 3.78 लाख स्कूली बच्चे पूछ रहे, कैसे पढ़ें हम ? झारखंड में शिक्षा व्यवस्था को….
Jharkhand: Only one teacher is posted in 7642 schools, 3.78 lakh school children are asking, how should we study? Education system in Jharkhand...

Jharkhand Education System: शिक्षा व्यवस्था के मामले में झारखंड की स्थिति क्या है? ये किसी से छुपी नहीं है। कहीं स्कूल बदहाल, तो कहीं शिक्षक का टोटा? प्रदेश में कोई भी शिक्षक भर्ती बिना कोर्ट कचहरी जाये पूरी नहीं हो रही है। काफी दिनों बाद सहायक आचार्य की जो वैकेंसी झारखंड में जारी हुई, वो कानूनी दांव पेंच की भेंट चढ़ गयी। जाहिर है इन सबका खामियाजा स्कूली बच्चों को भुगतना पड़ रहा है। केंद्र सरकार की रिपोर्ट बतायी है कि प्रदेश के सात हजार से ज्यादा स्कूल हैं, जहां बच्चों को पर्याप्त शिक्षक ही नसीब नहीं हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, झारखंड में फाउंडेशन स्तर पर ग्रास एनरोलमेंट रेशियो (GEI) 30, मिडिल में 83 तथा माध्यमिक में 41 प्रतिशत है। प्रति स्कूल शिक्षकों की औसत संख्या की बात करें तो झारखंड में प्रति स्कूल औसत पांच शिक्षक कार्यरत हैं। राष्ट्रीय स्तर पर प्रति स्कूल औसत छह शिक्षक कार्यरत हैं। इस मामले में झारखंड अन्य राज्यों आंध्रप्रदेश, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और ओडिशा के साथ खड़ा है, जहां भी प्रति स्कूल औसत पांच शिक्षक ही कार्यरत हैं। सबसे पीछे मेघालय है, जहां प्रति स्कूल औसत चार शिक्षक ही कार्यरत हैं।
केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय द्वारा जारी यूडायस प्लस (यूनिफाइड डिस्ट्रिक्ट इंफॉर्मेशन सिस्टम फॉर एजुकेशन प्लस) की 2022-23 की रिपोर्ट बताती है कि प्रदेश के 7,642 स्कूलों में एक शिक्षक ही कार्यरत हैं। अनुमान लगाया जा सकता है कि अगर ये प्राथमिक स्कूल भी हैं, तो पांच कक्षाओं को एक शिक्षक कैसे संचालित कर रहा होगा।
आंकड़ों की बात करें तो 7,642 स्कूलों में एक शिक्षक ही सभी कक्षाएं लेते होंगे, तो फिर विषय आधारित उनका सिलेबस कैसे पूर्ण होता होगा। ये वो 7642 स्कूल हैं, जहां 3.78 लाख बच्चे नामांकित हैं। ऐसे में करीब पौने चार लाख छात्रों की किस्मत सिर्फ एक ही शिक्षक के भरोसे हैं। यूडायस प्लस-2022-23 की रिपोर्ट के अनुसार झारखंड में ऐसे 370 स्कूल संचालित हैं, जहां शून्य अवधि में शून्य नामांकन हुआ।
एक भी बच्चे के नामांकन नहीं होने के बाद भी इन स्कूलों में 1,368 शिक्षक कार्यरत हैं। छात्र-शिक्षक अनुपात (पीपुल्स टीचर रेशियो) की स्थिति भी ठीक-ठाक नहीं है। झारखंड में 35 बच्चों पर एक शिक्षक कार्यरत हैं, जबकि आरटीई तथा राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत यह अनुपात 30 से अधिक नहीं होना चाहिए।