झारखंड- नक्सलियों ने हाथी को मार डाला: IED ब्लास्ट का शिकार बना हाथी “गडरू”, विस्फोट में घायल हुए हाथी ने तोड़ा दम
Jharkhand- Naxalites killed elephant: Elephant "Gadru" became victim of IED blast, elephant injured in the explosion died

चाईबासा। नक्सली अब इंसान ही नहीं जानवरों के भी दुश्मन हो गये हैं। IED ब्लास्ट का शिकार अब तक जवान ही बनते थे, लेकिन अब जंगली जानवर भी दर्दनाक मौत मर रहे हैं। मामला झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम जिले के सारंडा जंगल की है, जहां एक आईईडी विस्फोट में हाथी की मौत हो गयी। हाथी को ग्रामीण ‘गडरू’ के नाम से जानते थे।
छह वर्षीय यह हाथी, जो अक्सर जंगल के आसपास दिखाई देता था, माओवादियों द्वारा जमीन में बिछाए गए बारूद की चपेट में आकर बुरी तरह से घायल हो गया था।वन विभाग के अनुसार, 24 जून को सारंडा के दीघा क्षेत्र में माओवादियों द्वारा जमीन के नीचे लगाए गए आईईडी में जबरदस्त विस्फोट हुआ।
इस विस्फोट की चपेट में आकर हाथी का पिछला बायां पैर गंभीर रूप से जख्मी हो गया। स्थानीय ग्रामीणों ने वन विभाग को इसकी सूचना दी, जिसके बाद ड्रोन की मदद से हाथी की लोकेशन ट्रैक की गई।हाथी घिसटता हुआ एक नाले के पास पहुंच गया था, जहां चार से पांच दिनों तक उसकी निगरानी की जा रही थी। वन विभाग ने गुजरात की ‘वनतारा’ संस्था से मदद मांगी, जो जंगली जानवरों के उपचार और पुनर्वास में विशेषज्ञता रखती है।
वनतारा की मेडिकल टीम ने किया रेस्क्यू, लेकिन नहीं बचा सके ‘गडरू’
वनतारा की मेडिकल टीम शनिवार को सारंडा पहुंची। उन्होंने हाथी को ट्रैंकुलाइज कर जराईकेला शहर लाया, जहां उसका इलाज शुरू हुआ। पूरी रात भर प्रयासों के बावजूद, हाथी की स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ। रविवार को उसने दम तोड़ दिया।डॉक्टरों के अनुसार, हाथी के शरीर में गंभीर संक्रमण फैल चुका था और जख्म बहुत गहरे थे, जिससे उसकी जान नहीं बचाई जा सकी।
माओवादी हिंसा का वन्यजीवन पर कहर
यह हादसा केवल वन विभाग ही नहीं, बल्कि पूरे क्षेत्रवासियों के लिए भावनात्मक क्षति है। ‘गडरू’ न केवल जंगलों का एक हिस्सा था, बल्कि उसे देखने लोग दूर-दूर से आते थे। यह घटना माओवादियों की हिंसा का ऐसा दुर्भाग्यपूर्ण उदाहरण है, जिसमें इंसान के साथ-साथ अब निर्दोष वन्यजीव भी शिकार बन रहे हैं।