झारखंड : मनरेगा कर्मी मानसून सत्र में विधानसभा का करेंगे घेराव, वर्षों से लंबित है मांगे...
MANREGA NEWS: राज्य के मनरेगा कर्मी 14 सालों से अपनी मांगों को लेकर आंदोलन करते रहे हैं। तमाम आश्वासन के बाद भी कोई ठोस कदम उनके हित में अब तक नहीं उठाया गया हैं। ऐसे में मनरेगा के तहत कार्यरत कर्मियों की नाराजगी एक बार फिर से सामने आ रही है । इस बार की नाराजगी कुछ ऐसी है कि मनरेगा कर्मी 14 सालों से लंबित अपनी मांगों को लेकर विधानसभा का घेराव करने की तैयारी में है। झारखंड राज्य मनरेगा कर्मचारी संघ के मुताबिक 14 सालों से उनके हित से जुड़ी मांगों को पूरा करने से सरकार बचती रही है। ऐसे में एक बार फिर आंदोलन का रुख अपनाया जाएगा। आंदोलन की रूपरेखा तैयार कर ली गई है।
विधानसभा और ग्रामीण विकास मंत्री आवास का करेंगे घेराव।
अपनी मांगों के लिए झारखंड राज्य मनरेगा कर्मचारी संघ 1 अगस्त को झारखंड विधानसभा का घेराव और 8 अगस्त को ग्रामीण विकास मंत्री के आवास का घेराव करने का फैसला लिया है। इस फैसले से संघ ने राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन व ग्रामीण विकास मंत्री, प्रधान सचिव ग्रामीण विकास विभाग, मनरेगा आयुक्त सहित सभी जिला के उपायुक्त व उपविकास आयुक्त व एसडीओ को भी अवगत करा दिया है ।संघ के मुताबिक मनरेगा कर्मी 14 वर्षों से लगातार संघर्ष कर रहे हैं ,लेकिन अभी तक न तो उनकी सेवा स्थाई की गई है और न हीं वेतन मान दिया गया है। वर्तमान सरकार बनने से पहले मनरेगा कर्मियों की सेवा स्थाई करने तथा वेतनमान देने का वचन दिया गया था जो आज तक पूरा नहीं हो सका है।
आश्वासन मिला रिजल्ट नहीं।
संघ की ओर से यह जानकारी मिली है कि 29 जुलाई 2020 से 10 सितंबर 2020 तक अपनी मांगों को लेकर अनिश्चितकालीन हड़ताल भी किया गया था। इसके बाद विभागीय मंत्री व अधिकारियों के आश्वासन के बाद हड़ताल समाप्त की गई। सभी काम पर वापस लौट गए। पर आज तक उनकी मांगों के पूर्ति के दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। विगत दिनों एक बार फिर से आश जगी थी की कैबिनेट के बैठक में प्रस्ताव आएगा ।लेकिन बैठक में ऐसा कोई बात नहीं हो पाई। ऐसे में संघ के समक्ष आंदोलन के अलावा और कोई विकल्प नहीं बचा है।
प्रमुख मांगे।
- वर्ष 2000 की अनिश्चितकालीन हड़ताल में बर्खास्त किए गए मनरेगा कर्मचारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष अनिरुद्ध पांडे व धनबाद जिला के अध्यक्ष मुकेश राम को बहाल किया जाए और अपीलीय प्राधिकार के समक्ष अपना पक्ष रखने का अवसर दिया जाए।
2. सेवा शर्त नियमावली में संशोधन की जाए।
3. सरकारी नियुक्तियों में आरक्षण व उम्र सीमा में छूट।
4. पंचायत सचिव की नियुक्ति में कार्य अनुभव के आधार पर मनरेगा कर्मियों का समायोजन।
5. मनरेगा कर्मियों को सीमित उप समाहर्ता की परीक्षा में बैठने का अवसर।
6. स्थायीकरण किया जाए ,पद एवं कोटि के अनुरूप वेतनमान दिया जाए।
7. हर साल वेतन में 10% बढ़ोतरी की जाए।
8. मनरेगा कर्मियों का 50 लाख का बीमा एवं मनरेगा कर्मी एवं आश्रितों को 10लाख का स्वास्थ्य बीमा।