झारखंड: जमीन और फ्लैट खरीदना हो जायेगा अब महंगा, 1 अगस्त से शुरू होने वाली है नयी व्यवस्था, 10-12% तक होगी कीमतों में बढोत्तरी
Jharkhand: Buying land and flats will now become expensive, new system will start from August 1, prices will increase by 10-12%

Jharkhand News: अगर आप राजधानी रांची में जमीन या फ्लैट खरीदने की योजना बना रहे हैं, तो यह खबर आपके लिए बेहद अहम है। राजधानी में अब घर और जमीन खरीदना मुश्किल हो जायेगी। रांची और इसके आसपास के क्षेत्रों में जमीन और फ्लैट की खरीदी अब महंगी होने वाली है। 1 अगस्त से दोनों की कीमतें बढ़ जायेगी। दरअसल जिला निबंधन कार्यालय ने नई सरकारी मूल्यांकन दरें लागू करने की तैयारी कर ली है, जिससे संपत्ति की कीमतों में 8 से 12 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी हो जायेगी।
यही नहीं रजिस्ट्री पर चार फीसदी स्टांप ड्यूटी और तीन फीसदी कोर्ट फीस के चलते खरीददारों पर अतिरिक्त आर्थिक भार पड़ेगा। जानकारी के मुताबिक जिला निबंधन कार्यालय ने नई दरों को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया शुरू कर दी है, जिसे जल्द ही डीसी सह रजिस्ट्रार मंजूनाथ भजंत्री को अनुमोदन के लिए भेजा जाएगा।
बताया जा रहा है कि इस नई व्यवस्था के तहत रांची नगर निगम क्षेत्र के सभी 53 वार्ड और 13 मौजा प्रभावित होंगे। हालांकि 31 जुलाई तक रजिस्ट्री पुरानी दरों पर ही की जा सकेगी, जिसके बाद 1 अगस्त से नई दरें प्रभावी हो जाएंगी।
इन इलाकों पर पड़ेगा सबसे ज्यादा असर:
प्राप्त जानकारी के अनुसार, रांची के वार्ड संख्या 1, 2, 3, 6, 11, 13, 14, 16, 17, 18, 21, 22, 23 जैसे इलाकों में जमीन और फ्लैट की कीमतों में 5 से 10 फीसदी तक की वृद्धि हो सकती है। ये वे क्षेत्र हैं जहां आवासीय और व्यावसायिक दोनों प्रकार की संपत्तियों की मांग अधिक है, और इनमें से कई क्षेत्र पॉश कॉलोनियों के रूप में जाने जाते हैं।
खरीदारी पर अतिरिक्त खर्च:
नई दरें लागू होने के बाद, जमीन या फ्लैट की खरीदारी पर ग्राहकों को चार फीसदी स्टांप ड्यूटी और तीन फीसदी कोर्ट फीस अदा करनी होगी। यानी कुल मिलाकर संपत्ति मूल्य का सात फीसदी अतिरिक्त भुगतान करना होगा।
उदाहरण के तौर पर, यदि कोई व्यक्ति एक डिसमिल जमीन, जिसकी बाजार कीमत 20 लाख रुपये है, खरीदता है, तो उसे 1.4 लाख रुपये सिर्फ स्टांप ड्यूटी और कोर्ट फीस के रूप में चुकाने होंगे। यह सीधे तौर पर मध्यमवर्गीय और निम्न मध्यमवर्गीय खरीदारों के बजट पर प्रभाव डालेगा।
प्रशासन का कहना है कि मूल्यांकन दरों में यह वृद्धि राजस्व बढ़ाने और बाजार दरों के साथ सरकारी दरों को संतुलित करने की कवायद है। निबंधन कार्यालय का तर्क है कि पिछले कुछ वर्षों में संपत्ति बाजार में वृद्धि हुई है, जबकि सरकारी दरें स्थिर बनी हुई थीं, जिससे बाजार और प्रशासनिक दरों में अंतर बढ़ता जा रहा था।