झारखंड : आईआईटी-आईएसएम और भारतीय सेना ने किया रणनीतिक एमओयू, तकनीकी विकास को मिलेगा बढ़ावा

IIT-ISM and Indian Army signed a strategic MoU, will boost technological development

धनबाद : देश की सुरक्षा को तकनीकी रूप से सशक्त बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए, आईआईटी-आईएसएम धनबाद और भारतीय सेना के बीच एक ऐतिहासिक रणनीतिक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किया गया है। यह साझेदारी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग, बिग डेटा, साइबर सुरक्षा और अन्य उभरते तकनीकी क्षेत्रों में सहयोग और नवाचार को बढ़ावा देगी।

वर्चुअल सेरेमनी में शामिल हुए सेना और आईआईटी के वरिष्ठ अधिकारी

यह समझौता सोमवार को एक वर्चुअल कार्यक्रम के दौरान किया गया। इस अवसर पर आईआईटी-आईएसएम (इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी – इंडियन स्कूल ऑफ माइंस) के निदेशक प्रो. सुकुमार मिश्रा, एसोसिएट डीन प्रो. एसआर समादार, कंप्यूटर विज्ञान विभागाध्यक्ष प्रो. चिरंजीव कुमार और प्रो. धरावत रमेश उपस्थित थे। भारतीय सेना की ओर से लेफ्टिनेंट जनरल राजीव कुमार साहनी, ब्रिगेडियर मनीष जोशी और ब्रिगेडियर एनपी सिंह सहित अन्य अधिकारी ऑनलाइन माध्यम से जुड़े।

इन क्षेत्रों में होगा संयुक्त अनुसंधान

इस एमओयू के तहत निम्नलिखित प्रमुख क्षेत्रों में संयुक्त शोध और नवाचार को बढ़ावा दिया जाएगा:

  • आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI)
  • मशीन लर्निंग (ML)
  • बिग डेटा एनालिटिक्स
  • साइबर सुरक्षा
  • इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT)
  • नेचुरल लैंग्वेज प्रोसेसिंग (NLP)
  • क्लाउड कंप्यूटिंग

विशेष प्रमाणन कोर्स और इंटर्नशिप के अवसर

आईआईटी-आईएसएम धनबाद, सेना के अधिकारियों के लिए विशेष प्रमाणन पाठ्यक्रम तैयार करेगा, जिन्हें ऑनलाइन, ऑफलाइन या हाइब्रिड मोड में संचालित किया जाएगा। इसके अतिरिक्त, संस्थान के छात्रों को रक्षा क्षेत्र से जुड़ी इंटर्नशिप और शोध परियोजनाओं में भाग लेने का अवसर मिलेगा। इससे छात्रों को वास्तविक समस्याओं को समझने और समाधान विकसित करने का व्यावहारिक अनुभव प्राप्त होगा।

संसाधनों का होगा साझा उपयोग

दोनों संस्थान आपस में अपनी प्रयोगशालाएं, पुस्तकालय और तकनीकी संसाधन साझा करेंगे। जहां आईआईटी-आईएसएम उच्च स्तरीय तकनीकी मार्गदर्शन और प्रशिक्षित छात्र प्रदान करेगा, वहीं भारतीय सेना परियोजनाओं के लिए फीडबैक और मार्गदर्शन देगी।

आईआईटी-आईएसएम के निदेशक प्रो. सुकुमार मिश्रा ने कहा कि ‘यह समझौता राष्ट्रीय सुरक्षा की चुनौतियों को शैक्षणिक नवाचारों से हल करने की दिशा में एक उल्लेखनीय पहल है। इससे न केवल सेना को तकनीकी मजबूती मिलेगी, बल्कि छात्रों को भी व्यावहारिक शोध के अवसर मिलेंगे’।

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