झारखंड हाईकोर्ट हुआ तल्ख: थानों में कब तक लगेंगे CCTV, गृह विभाग से मांगा शपथ पत्र, सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद नहीं लगे हैं कैमरे…
Jharkhand High Court slams Home Department for not installing CCTV cameras despite Supreme Court order

रांची। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद झारखंड के कई थानों में अब तक सीसीटीवी कैमरे नहीं लगाए गए हैं। इस मामले में दायर जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान झारखंड हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से कड़े शब्दों में जवाब मांगा है। कोर्ट ने गृह विभाग के प्रधान सचिव को शपथपत्र दाखिल कर यह बताने का निर्देश दिया है कि राज्य के सभी थानों में सीसीटीवी कैमरे कब तक लगाए जाएंगे।
चीफ जस्टिस तरलोक सिंह चौहान और जस्टिस राजेश शंकर की खंडपीठ ने गृह विभाग के प्रधान सचिव को आदेश दिया कि वे शपथपत्र के माध्यम से यह बताएं कि राज्य के सभी थानों में सीसीटीवी कैमरे कब तक लगाए जाएंगे।कोर्ट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही सभी राज्यों को स्पष्ट निर्देश दिया था कि हर थाना परिसर में सुरक्षा और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए सीसीटीवी कैमरे लगाना अनिवार्य है।
इसके बावजूद झारखंड में अब तक यह कार्य अधूरा है। अदालत ने गृह सचिव को यह भी निर्देश दिया कि वे सीसीटीवी लगाने की सटीक समयसीमा बताएं और इसके कार्यान्वयन की प्रगति रिपोर्ट भी प्रस्तुत करें।इस मामले में अगली सुनवाई 14 नवंबर को निर्धारित की गई है। कोर्ट ने साफ किया कि यदि सरकार इस बार भी ठोस जवाब देने में नाकाम रही, तो कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
इससे पहले, एसएसपी कार्यालय की ओर से एक प्रति-शपथपत्र दाखिल किया गया था, लेकिन अदालत ने उसे राज्य सरकार का औपचारिक उत्तर नहीं माना और कहा कि मुख्य जिम्मेदारी गृह विभाग की है। अदालत ने कहा कि राज्य सरकार को बताना होगा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद अब तक यह प्रक्रिया अधूरी क्यों है।
एसीबी मामलों पर भी सख्ती:
इसी सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) में दर्ज मामलों की धीमी जांच पर भी नाराजगी जताई। कोर्ट को बताया गया कि एसीबी में कुल 480 प्रारंभिक जांचें (PE) दर्ज हुई थीं, जिनमें से 211 अब भी लंबित हैं।
कोर्ट ने एसीबी के महानिदेशक (DG) को निर्देश दिया कि वे शपथपत्र के माध्यम से यह स्पष्ट करें कि लंबित जांचें कब तक पूरी होंगी। अदालत ने एसीबी से कहा कि वे सभी मामलों की जांच के लिए एक निश्चित समयसीमा निर्धारित करें और अगली सुनवाई में रिपोर्ट प्रस्तुत करें।