झारखंड : 450 करोड़ के शराब घोटाले में झारखंड सरकार का बड़ा कदम…CBI को सौंपी जांच
Jharkhand: Jharkhand government takes a big step in the Rs 450 crore liquor scam...investigation handed over to CBI

रायपुर। छत्तीसगढ़ पीएससी पेपर लीक और महादेव सट्टा एप मामले के बाद अब झारखंड के बहुचर्चित शराब घोटाले में भी केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) की एंट्री तय मानी जा रही है। झारखंड सरकार ने इस मामले में CBI जांच की सिफारिश कर दी है। 450 करोड़ रुपये के इस आबकारी घोटाले की फाइल सीबीआई मुख्यालय दिल्ली पहुंच चुकी है और जल्द ही केस दर्ज कर जांच शुरू होने की संभावना जताई जा रही है।
घोटाले के केंद्र में झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन समेत कई बड़े अधिकारी और नेता जांच के घेरे में हैं। इस घोटाले के तार छत्तीसगढ़ के 2161 करोड़ रुपये के शराब घोटाले से भी जुड़े होने की बात सामने आ रही है।
EOW को नहीं मिल रहा था सहयोग, अब CBI करेगी जांच
झारखंड की आर्थिक अपराध शाखा (EOW) इस घोटाले की जांच कर रही थी, लेकिन उसे राज्य सरकार से अपेक्षित सहयोग नहीं मिल पा रहा था। EOW ने तीन बार झारखंड के वरिष्ठ आईएएस अफसर विनय कुमार चौबे और गजेंद्र सिंह समेत अन्य अधिकारियों से पूछताछ के लिए समन जारी किया, लेकिन सरकार ने अभियोजन की स्वीकृति नहीं दी। विभाग द्वारा भेजे गए किसी भी पत्र का जवाब नहीं दिया गया। ऐसे में झारखंड सरकार ने अब जांच CBI को सौंपने की सिफारिश की है।
छत्तीसगढ़ से जुड़ा है झारखंड घोटाले का सिंडीकेट
सूत्रों के अनुसार, झारखंड में जिस सिंडीकेट ने शराब कारोबार को नियंत्रित किया, वह वही सिंडीकेट है, जो छत्तीसगढ़ में चर्चित 2161 करोड़ रुपये के शराब घोटाले में आरोपी है। इसमें रिटायर्ड आईएएस अनिल टुटेजा, आईटीएस अधिकारी अरुणपति त्रिपाठी, कारोबारी अनवर ढेबर और अन्य आरोपी बनाए गए हैं।
इन आरोपियों से छत्तीसगढ़ EOW पहले ही पूछताछ कर चुकी है और कुछ को जेल भी भेजा गया है। अब अगर CBI झारखंड मामले की जांच करती है, तो निश्चित रूप से छत्तीसगढ़ के कई और बड़े नाम जांच के घेरे में आ सकते हैं।
माना जा रहा है कि छत्तीसगढ़ के तत्कालीन आबकारी मंत्री कवासी लखमा तक भी इस जांच की आंच पहुंच सकती है। क्योंकि झारखंड में जो सिस्टम अपनाया गया था, वह छत्तीसगढ़ के मॉडल पर आधारित था। आबकारी विभाग के वरिष्ठ अधिकारी भी रडार पर आ सकते हैं।