रांची। झारखंड में महिला कर्मियों के लिए चाइल्ड केयर लीव की सुविधा कब तक मिलेगी? ये अपने आप में यक्ष प्रश्न है। केंद्र सरकार और कई राज्य सरकार ने इस प्रावधान को लागू कर दिया है। परंतु झारखंड में ये संभव नहीं हो पाया है। स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी संगठन ऑल झारखंड पारा मेडिकल एसोसिएशन के राज्य प्रतिनिधि ने कहा है राज्य भर में संविदा कर्मियों को भी सवैतनिक मातृत्व अवकाश की सुविधा हमारे एसोसिएशन द्वारा बहाल कराई गई थी क्योंकि हमारे विभाग में 80% महिला कर्मी है, अब चाइल्ड केयर लीव की सुविधा बहाल कराने को लेकर हमारा एसोसिएशन लगातार संघर्षरत है।

लंबे समय से इसकी मांग कई कर्मचारी संगठन कर रहे हैं,इसके वावजूद अब तक इस संबंध में सरकार का कोई आदेश जारी नहीं हो पाया है। सूत्र बताते हैं कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन खुद इस मांग पर आश्चर्य जताते हुए कहा था कि ये मांग पूर्व की सरकार द्वारा काफी दिन ही पूरा कर दिया जाना था वावजूद इसके अब तक पूरा नहीं हो पाना अपने आप में आश्चर्य का विषय है। सूत्रों की मानें तो मुख्यमंत्री ने इस संबंध में आवश्यक निर्देश भी जारी किए हैं।

महिलाओं को पूरी सर्विस में मिलेगा कुल दो साल का अवकाश

आधिकारिक जानकारी के मुताबिक ” चाइल्ड केयर लीव ” में राज्य सरकार के कर्मचारियों में महिलाओं को पूरी सर्विस में कुल दो साल की और पुरुष को पंद्रह दिन की छुट्टी दी जाती है. यह सुविधा राज्य सरकार के सभी कर्मचारियों को देने का प्रावधान है, लेकिन झारखंड राज्य में कर्मचारियों को अभी तक यह सुविधा प्राप्त नहीं है.

महिला कर्मचारियों के लिए क्या है नियम?

विभिन्न पदों पर नियुक्त महिला कर्मचारी अवकाश नियम, 1972 के नियम 43-C के तहत चाइल्ड केयर लीव के लिए पात्र होती हैं.

  • 1. 18 वर्ष की आयु तक दो सबसे बड़े जीवित बच्चों की देखभाल के लिए पूरी सेवा के दौरान अधिकतम 730 दिनों की चाइल्ड केयर लीव का लाभ उठा सकती है.
  • 2. दिव्यांग बच्चे के मामले में कोई आयु सीमा नहीं है.
  • 3. एक कैलेंडर वर्ष में तीन से अधिक फेज के लिए नहीं.
  • 4. इन नियमों के तहत,एकल महिला कर्मचारी के मामले में, सीसीएल को एक कैलेंडर वर्ष में तीन के बजाय छह बार तक बढ़ाया जा सकता है.

AJPMA सहित कई कर्मचारी संगठन उठा रहे है मांग

स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी संगठन ऑल झारखंड पारा मेडिकल एसोसिएशन (AJPMA ) के प्रदेश उपाध्यक्ष उमा काबरा ने कहा है हमारे विभाग में 80% महिला कर्मी है। अपने बच्चों की देखभाल के लिए कई महिला साथी को नौकरी छोड़ देनी पड़ी। उसके वावजूद चाइल्ड केयर लीव की सुविधा बहल नहीं हो पाई है। हमारे एसोसिएशन की तरफ सरकार का ध्यान इस ओर आकृष्ट कराया गया है उसके वावजूद टाल मटोल की नीति अपनाई जा रही है। सरकार को जल्द इस आदेश को पारित किया जाना चाहिए। उन्होंने बताया की ये मांग राज्य के सभी कर्मचारी संगठन भी उठा रहे है, इस सुविधा का लाभ सभी महिला को अवश्य मिलना चाहिए।

क्या कहते हैं अधिकारी

अधिकारी भी मानते है की कर्मचारियों को चाइल्ड केयर लीव का प्रावधान है. सहमति का आधार ह्यूमन राइट और वेलफेयर से जुड़ा है. दरअसल देखा जा रहा था कि बच्चों की देखरेख के लिए कई महिला कर्मचारियों को त्यागपत्र तक देना पड़ता है. पुरुष कर्मचारियों को मेडिकल लीव लेना पड़ता है. जबकि कई कर्मचारी संगठन इसकी मांग भी कर रहे हैं।

मैटरनिटी लीव का भी है प्रावधान

केंद्र सरकार की महिला कर्मचारी गर्भावस्था के दौरान 180 दिनों तक मातृत्व अवकाश की पात्र होंगी. वहीं गर्भपात के मामले में कर्मचारी की पूरी सेवा के दौरान 45 ​​दिनों के अवकाश की हकदार होंगी.

पुरुष कर्मचारियों के लिए ये है नियम

पुरुष कर्मचारी भी अपनी पत्नी के प्रसव के बाद रिकवर होने तक दो से अधिक बच्चों के लिए 15 दिनों तक के पटेर्निटी लीव के हकदार हैं. साथ ही एक वर्ष से कम उम्र के बच्चे को गोद लेने के मामले में एक पुरुष कर्मचारी दो से अधिक जीवित बच्चों के लिए इस छुट्टी का लाभ उठा सकते है.

प्रोबेशन पीरियड में क्या है नियम?

अवकाश नियम, 1972 के नियम 43-C (3) के अनुसार, चाइल्ड केयर लीव (सीसीएल) आमतौर पर प्रोबेशन पीरियड के दौरान प्रदान नहीं की जाएगी. अत्यंत कठिन स्थितियों को छोड़कर जहां छुट्टी मंजूरी देने वाला प्राधिकारी प्रोबेशनर की सीसीएल की आवश्यकता के बारे में संतुष्ट है, बशर्ते कि वह अवधि जिसके लिए ऐसी छुट्टी है स्वीकृत न्यूनतम है. नियम 43-सी के अनुसार, अधिकार के रूप में सीसीएल की मांग नहीं की जा सकती है और किसी भी परिस्थिति में कोई भी कर्मचारी पूर्व अनुमोदन के बिना सीसीएल पर आगे नहीं बढ़ सकता है

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