झारखंड चुनाव : 22 उम्मीदवारों पर 6 साल का प्रतिबंध, जानिए कौन से 13 विधानसभा क्षेत्रों में हुआ है ऐसा”

22 candidates have been banned for 6 years. Find out in which 13 assembly constituencies this has happened.

झारखंड में 13 विधानसभा क्षेत्रों के 22 प्रत्याशियों पर 6 साल तक चुनाव लड़ने पर रोक लग सकती है. चुनाव आयोग ने ऐसे 22 प्रत्याशियों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है जिन्होनें पिछले विधानसभा चुनाव में खर्च का ब्यौरा नहीं दिया है. मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय से मिली जानकारी के मुताबिक राज्य के 13 विधानसभा क्षेत्रों के 22 उम्मीदवारों ने चुनाव के दौरान हुए खर्च का विवरण निर्धारित समय में जमा नहीं किया है. यदि चुनाव आयोग उम्मीदवारों के जवाब से संतुष्ट नहीं होता तो इनपर 6  साल तक चुनाव लड़ने पर रोक लग सकती है.

 चुनाव खर्च का नहीं दिया ब्यौरा

आयोग ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए नोटिस जारी किया है. मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी के. रवि कुमार ने कहा है कि आयोग का निर्देश बेहद साफ है. निर्धारित अवधि के भीतर सभी प्रत्याशियों को अपने खर्च का विवरण देना होता है. इसके बावजूद 22 प्रत्याशियों ने अबतक चुनाव खर्च का ब्यौरा नहीं दिया.

जिला निर्वाचन पदाधिकारी स्तर से ऐसे सभी प्रत्याशियों से जवाब तलब किया गया. इसके बावजूद उन्होंने संतोषजनक जवाब नहीं दिया. ऐसे में जिलों से आई रिपोर्ट के आधार पर भारत निर्वाचन आयोग को इस संबंध में रिपोर्ट भेजी गई है. चुनाव खर्च का ब्यौरा नहीं देने पर वैसे प्रत्याशी छह साल तक के लिए कोई भी चुनाव नहीं लड़ सकेंगे.

संतोषजनक जवाब नहीं देने पर होगा एक्शन

आरोप के घेरे में आए जिन 13 विधानसभा सीटों के प्रत्याशी सूचीबद्ध हैं, उनमें राजमहल, महागामा, बड़कागांव, रामगढ़, मांडू, बगोदर, गांडेय, पाकुड़, छतरपुर, हुसैनाबाद, गढ़वा और भवनाथपुर शामिल हैं.
इन क्षेत्रों के 22 उम्मीदवारों में अधीर कुमार मंडल, नईम शेख, अमित कुमार, मालतो, मुकेश सोरेन, कृष्ण मोहन चौबे, फुलेश्वर महतो, लालदेव मुंडा, सुनील कुमार बेड़िया, सुंदरनाथ बेड़िआ, धर्मेंद्र प्रसाद, पंकज कुमार, मुख्तार खान, श्रीकांत प्रसाद, समीम अख्तर, पंकज कुमार जायसवाल, रितेश कुमार गुप्ता, प्रीति राज, अनिल मांझी, कामेश्वर पासवान, मुकेश चौधरी, राम प्यारे पाल, घनश्याम पाठक और राजेश बैठा के नाम शामिल हैं. आरोप के घेरे में आए सभी प्रत्याशी निर्दलीय के रूप में पिछले झारखंड विधानसभा चुनाव के दौरान किस्मत आजमाने उतरे थे.
यदि इन प्रत्याशियों के द्वारा चुनाव खर्च का ब्यौरा नहीं दिए जाने के साथ-साथ आयोग के नोटिस का संतोषजनक जवाब नहीं दिया जाता है तो इन्हें लेने के देने पड़ जाएंगे.

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