झारखंड ब्रेकिंग: सारी नियुक्तियां हो गयी रद्द! सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया बड़ा फैसला, जानिये क्या है पूरा मामला

Jharkhand News: सुप्रीम कोर्ट से झारखंड के कर्मचारियों को बड़ा झटका लगा है। झारखंड सरकार द्वारा 29 जुलाई 2010 को आयोजित चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की भर्ती प्रक्रिया को अवैध और असंवैधानिक घोषित किया है. इससे पूरी प्रक्रिया निरस्त हो गयी। कोर्ट ने राज्य सरकार को छह माह के अंदर उक्त पदों के लिए नये विज्ञापन जारी करने का निर्देश दिया।

पदों की संख्या का उल्लेख नहीं करने, आरक्षण व इंटरव्यू राउंड (मूल रूप से विज्ञापन में उल्लेख नहीं) शामिल करने के बीच में नियम को बदलने जैसे कारकों का हवाला देते हुए कोर्ट ने पाया कि भर्ती प्रक्रिया से संविधान के अनुच्छेद-14 व 16 का उल्लंघन होता है।

खंडपीठ ने कहा कि हम यह ध्यान रखना उचित समझते हैं कि सार्वजनिक रोजगार भारत के संविधान द्वारा राज्य को सौंपा गया कर्तवर्त्य है। दरअसल अमृत यादव की याचिका पर यह फैसला सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया है।

जस्टिस पंकज मित्तल और जस्टिस संदीप मेहता की खंडपीठ ने झारखंड हाइकोर्ट के फैसले को बरकरार रखा. खंडपीठ ने कहा कि असंवैधानिक प्रक्रिया के माध्यम से की गयी नियुक्तियों को संरक्षित नहीं किया जा सकता है, भले ही उम्मीदवारों ने वर्षों तक काम किया हो और उनकी नियुक्ति रद्द करने से पहले उनकी बात नहीं सुनी गयी हो.

अदालत ने आगे कहा कि यदि कानून की दृष्टि में विषयगत नियुक्तियां शुरू से ही अमान्य थीं, तो एकल पीठ के लिए यह आवश्यक नहीं था कि वह ऐसे निर्णय से प्रभावित होने वाले सभी पक्षों, यानी अपीलकर्ता कर्मचारी सहित विषयगत पदों पर पहले से नियुक्त उम्मीदवारों को सुनने के बाद आदेश पारित करे.

दरअसल 29 जुलाई, 2010 के विज्ञापन के तहत अमृत यादव और अन्य कई लोगों की नियुक्ति चतुर्थ पद पर की गयी थी, लेकिन बाद में नियुक्ति के लिए किया गया विज्ञापन रद्द कर दिया गया, जिसके बाद नियुक्त हुए लोगों ने पहले हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की। हाईकोर्ट से राहत नहीं मिलने के बाद उन लोगों ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया, लेकिन वहां भी उन्हें कोई राहत नहीं मिली।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि असंवैधानिक प्रक्रिया के माध्यम से की गयी नियुक्तियों को संरक्षित नहीं किया जा सकता, भले ही उम्मीदवारों ने वर्षों तक काम किया हो और उनकी नियुक्ति रद्द करने से पहले उनकी बात नहीं सुनी गयी हो। यदि नियुक्ति प्रक्रिया अमान्य है तो नियुक्तियों को रद्द किया जा सकता है, भले ही व्यक्ति सेवा में शामिल हो गया हो।

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