झारखंड बड़ी खबर: विधायक ने किया इस्तीफे का ऐलान, चुनाव जीतते ही इस्तीफे के ऐलान से झारखंड की राजनीति में मची सनसनी

Jharkhand big news: MLA announced resignation, announcement of resignation as soon as he won the election created a sensation in Jharkhand politics.

Jharkhand Poltics: राजनीति को यूं तो कुर्सी की लड़ाई ही माना जाता है। एक बार कुर्सी आ गयी …कोई विधायक-सांसद बन गया, तो फिर ना तो कुर्सी छोड़ने को तैयार होता है और ना इस्तीफे देने को राजी होता है। लेकिन झारखंड के एक विधायक ने चुनाव जीतते ही इस्तीफे का ऐलान कर दिया है। विधायक ने कहा है कि जल्द ही वो अपने पार्टी सुप्रीमो से मिलेगा और अपना इस्तीफा सौंप देगा। आपको बता दें कि झारखंड में कल ही चुनाव के नतीजे आये हैं। जिसमें झामुमो को 34, कांग्रेस को 16, भाजपा को 21, राजद को चार, माकपा को 2, आजसू, जदयू और लोजपा को 1-1 सीटें मिली है।

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इस चुनाव में इंडी गठबंधन की आंधी ऐसी रही कि भाजपा-आजसू के कई दिग्गज ताश के पत्तों की तरह धाराशायी हो गये। आजसू 10 सीटों पर चुनाव लड़ रही थी, लेकिन किसी तरह से वो सिर्फ 1 सीट पर ही जीत दर्ज कर सकी। झारखंड में मांडू सीट पर आजसू के निर्मल महतो महज 231 वोटों से जीते। इधर विधायक चुनने के तुरंत बाद ही निर्मल महतो ने इस्तीफे का ऐलान कर दिया। उन्होंने कहा कि वो पार्टी सुप्रीम सुदेश महतो के लिए इस्तीफा देने को तैयार हैं।

 

उन्होंने कहा कि , ये जीत सुदेश महतो, चंद्रप्रकाश चौधरी और सभी कार्यकर्ताओं का है। लेकिन, मैं स्वेच्छा से मांडू विधानसभा को सुदेश महतो के लिए छोड़ने के लिये तैयार हैं। सुदेश महतो से मिलकर जल्द ही अपना इस्तीफा भी देंगे। हम आग्रह करेंगे तमाम कार्यकर्ताओं से कि चुनाव की तैयारी करें और सुदेश महतो को मांडू से विधायक बनाकर विधानसभा में भेजें।

 

निर्मल महतो ने आगे कहा कि विधानसभा में सुदेश महतो की गूंज गूंजनी चाहिये। सुदेश महतो जो आवाज विधानसभा में उठाते हैं, वैसी बात कोई नहीं उठाता है। हारना जीतना अलग बात है। सही बात को उठाने वाला नेता चाहिये। हमारे नेता सुदेश महतो हैं, थे और जीवन भर रहेंगे। सुदेश महतो से बड़ा नेता झारखंड में ना तो कभी पैदा हुआ है और ना ही कोई पैदा होगा।

 

सिल्ली से सुदेश महतो चुनाव हारे 

कुर्मी समुदाय की मौजूदगी झारखंड में करीब 15 फीसदी है. अभी तक झारखंड के कुर्मी समाज में सबसे ज्यादा पकड़ सुदेश महतो की पार्टी आजसू की मानी जाती रही. भाजपा ने भी सीट समझौते में आजसू को 10 सीट दिया था. मगर आजसू के प्रभाव वाली इन सीटों पर जयराम महतो की पार्टी कुछ इस तरह उभरी कि सुदेश महतो को खुद अपनी सिल्ली सीट गंवानी पड़ी. सिल्ली में आजसू के सुदेश महतो करीब 24 हजार वोट से चुनाव हारे जबकि यहां जयराम महतो की पार्टी के कैंडिडेट देवेन्द्र महतो 42 हजार के करीब वोट ले आए।

 

यूं ही, रामगढ़ में आजसू की सुनीता चौधरी महज 7 हजार वोट से चुनाव हार गईं. जबकि यहां जयराम महतो की पार्टी को 71 हजार वोट आए. आजसू इस चुनाव में केवल 1 सीट जीती – मांडू. लेकिन वह भी बड़ी मुश्किल से. यहां पार्टी के निर्मल महतो जीते मगर सिर्फ 231 वोट से. गौर करने वाली बात ये रही कि यहां भी जयराम महतो की पार्टी लगभग 71 हजार वोट ले आई. इस तरह, ये कहना कहीं से भी अतिश्योक्ति नहीं कि जयराम महतो की झारखंड लोकतांत्रिक क्रांतिकारी मोर्चा ने बीजेपी और आजसू की इस चुनाव में लंका लगा दी।

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