रांची । झारखंड प्रशासनिक सेवा के अधिकारी पर अवैध निकासी मामले में आर्थिक दंड दिया गया है। उनपर लगे आरोप के संबंध में बताया गया की उत्तरी कोयल परियोजना मेदिनीनगर के लिए संधारित बैंक में बैंककर्मियों, सरकारी कर्मियों और साइबर फ्राड करने वाले लोगों के साथ सांठगांठ कर 12.60 करोड़ रुपये की अवैध निकासी व हस्तांतरण के मामले में तत्कालीन विशेष भू-अर्जन पदाधिकारी बंका राम को कठोर दंड न देकर सिर्फ संचायात्मक प्रभाव से तीन वेतन वृद्धि रोकने का फैसला लिया गया है. इस संबंध में कार्मिक विभाग ने आदेश जारी कर दिया है.

पलामू उपायुक्त ने की थी कारवाई की अनुशंसा

पलामू जिले के उपायुक्त ने जांच के बाद झाप्रसे सेवा के अधिकारी बंका राम पर एक नवंबर 2019 को आरोप पत्र गठित कर कार्रवाई की अनुशंसा की थी. जांच के दौरान यह बात सामने आयी थी कि उनके हस्ताक्षर से 14.6.2018 को भारतीय स्टेट बैंक डालटेनगंज में संधारित खाता संख्या- 11112105417 से 12.60 करोड़ रुपये की निकासी कर उक्त राशि का गबन किया गया.

जिसके बाद इसकी जांच करायी गई और उनसे स्पष्टीकरण भी लिया गया. इस दौरान उन्हें निलंबित भी किया गया. बाद में जांच के बाद उन्हें निलंबनमुक्त किया गया. हालांकि, इस मामले साइबर फ्राड करने वाले लोगों को गिरफ्तार किया गया था. मामला कोर्ट में लंबित है. बंका राम फिलहाल दुमका जिले के जिला आपूर्ति पदाधिकारी के पद पर कार्यरत हैं।

क्या कहते हैं आरोपी बंका राम

बंका राम ने इस पूरे मामले से अपना पल्ला झाड़ते हुए कहा कि नाजिर रमाशंकर सिंह की जवाबदेही अधिक है क्योंकि वे ही इसके कस्टोडियन थे. जांच में बंका राम के इस बयान को स्वीकार योग्य माना गया लेकिन उस वक्त निकासी एवं व्ययन पदाधिकारी रहने के कारण उनपर भी जवाबदेही तय की गयी. इस पूरे गबन के मामले में स्टेट बैंक के शाखा प्रबंधक, साइबर फ्राड व नाजिर पर प्राथमिकी दर्ज करायी गयी है.

यह बात भी सामने आई कि बैंक कर्मियों की मिलीभगत से फर्जी चेक और फर्जी हस्ताक्षर से सरकारी राशि का अवैध हस्तांतरण हुआ है. ऐसे में बंका राम पर सभी आरोप प्रमाणित नहीं हुए लेकिन उनकी लापरवाही भी स्पष्ट रूप से सामने आयी. बता दें कि इसी तरह का मामला उस समय गुमला में भी हुआ जहां 9.05 करोड़ रुपये की राशि की अवैध निकासी की गयी थी, इसमें भी अभी जांच चल रही है.

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