रांची। 5 साल पहले 10 हजार की रिश्वतखोरी से करोड़ों के भ्रष्टाचार का खुलासा होगा, ये तो जांच एजेंसी ने कभी सोचा भी नहीं होगा। आलमगीर आलम के प्राइवेट सेकरेट्री के नौकर के घर से 35 करोड़ का कैश मिलना ED के लिए जितना चौकाने वाला है, उससे कहीं चौकाने वाला वो प्रकरण भी है, जिसकी वजह से झारखंड में करोड़ों के भ्रष्टाचार का एक सिरा जांच एजेंसी के पकड़ में आया। पूरा मामला जानने के लिए आपको 5 साल पहले साल 2019 में जाना होगा। जब सिर्फ 10 हजार रुपये की रिश्वत का एक प्रकरण सामने आया है।

लेकिन 10 हजार की रिश्वत की कड़ी दर कड़ी ऐसी जुड़ती चली गयी, कि मामला अब तक 50 करोड़ के करीब पहुंच गया है। हालांकि जांच एजेंसी भी मानती है कि 35 करोड़-50 करोड़ की राशि तो महज मुखौटा भर है, इसका सही आंकड़ा मालूम कर पाना अभी संभव नहीं है। जिस तरह से मनी लांड्रिंग का मामला सामने आया है, उससे यही लग रहा है कि मामला 100 करोड़ के भी पार पहुंच जायेगा।

इस तरह से मामले की शुरुआत
दरअसल ACB ने 11 जनवरी 2020 को कनीय अभियंता सुरेश प्रसाद वर्मा व आलोक रंजन के विरुद्ध भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम में चार्जशीट की थी। चार्जशीट के आधार पर ही ईडी ने 17 सितंबर 2020 को केस दर्ज किया था। इससे पहले 13 नवंबर 2019 को एसीबी जमशेदपुर में जय माता दी इंटरप्राइजेज के ठेकेदार विकास कुमार शर्मा ने सड़क निर्माण विभाग के कनीय अभियंता सुरेश प्रसाद वर्मा के विरुद्ध भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम में प्राथमिकी दर्ज कराई थी। उनका आरोप था कि सुरेश प्रसाद वर्मा ने उनके लंबित चार लाख 54 हजार 964 रुपये के बकाया भुगतान को जारी करने के एवज में 28 हजार रुपये की रिश्वत मांगी है। एसीबी ने सत्यापन के बाद सुरेश प्रसाद वर्मा को 14 नवंबर 2019 को 10 हजार रुपये रिश्वत लेते गिरफ्तार किया था।

उसी दिन एसीबी ने सुरेश प्रसाद वर्मा की पत्नी पुष्पा वर्मा के आवास पर छापेमारी की थी, जहां से 63 हजार 870 रुपये नकदी, जेवरात, जमीन व बैंक से संबंधित कागजात मिले थे। अगले दिन 15 नवंबर 2019 को उसी आवास के पहले तल्ले पर उनके किराएदार आलोक रंजन के आवास पर छापेमारी की थी, जहां से 2.67 करोड़ रुपये नकदी जब्त किए गए थे।

तब आलोक रंजन को भी गिरफ्तार किया गया था। एसीबी को छानबीन में बरामद 2.67 करोड़ रुपये नकदी के बारे में सुरेश प्रसाद वर्मा का कोई लिंक नहीं मिला था। बाद में सुरेश प्रसाद वर्मा व उनके पारिवारिक सदस्यों ने खुलासा किया कि उक्त राशि वीरेंद्र कुमार राम के हैं। वीरेंद्र कुमार राम व उनकी पत्नी राजकुमारी देवी अक्सर आलोक रंजन के उक्त किराए के मकान में आते-जाते रहते थे।

ईडी ने यह कार्रवाई ग्रामीण कार्य विभाग के पूर्व मुख्य अभियंता वीरेंद्र राम से जुड़े मामले में की है। वीरेंद्र राम को टेंडर घोटाले में गत वर्ष ईडी ने 23 फरवरी 2023 को गिरफ्तार किया था। उसके बाद से ही वह जेल में बंद हैं। ईडी ने वीरेंद्र राम के विरुद्ध छानबीन में यह खुलासा किया था कि उन्होंने टेंडर कमीशन के माध्यम से करीब सवा सौ करोड़ की संपत्ति अर्जित की है। ईडी ने उसके बाद एक-एक वीरेंद्र राम के पांच अन्य सहयोगियों को भी दबोचा था। उसी मामले में ईडी ने यह छापेमारी की है। मंत्री आलमगीर आलम ग्रामीण विकास विभाग के ही विभागीय मंत्री हैं।

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