रांची। ED जब से अस्तित्व में आया है। आये दिन छापेमारी में लाखों-करोड़ों रुपये कैश बरामद हो रहे हैं। बंगाल में शिक्षक भर्ती घोटाले में एक्ट्रेस के ठिकाने से 20 करोड़ कैश मिला था। अब झारखंड में भी मंत्री के निज सचिव के नौकर के घर से 35 करोड़ कैश मिला है। जब इतनी बड़ी संख्या में कैश मिलता है, तो लोगों के बीच इन नोटों को लेकर चर्चाएं शुरू हो जाती है। कई लोगों के मन में ये सवाल भी होता है कि आखिर इतने कैश जो जब्त होते हैं, उसका क्या किया जाता है।
ईडी ने सोमवार को ही जहांगीर आलम के घर से 35.23 करोड़ रुपये जब्त किए, जबकि दूसरे ठिकाने से 2.13 करोड़ से ज्यादा मिले हैं। निज सचिव संजीव लाल और नौकर जहांगीर को ईडी ने गिरफ्तार कर लिया है और अब उनसे पैसों के बारे में पड़ताल की जा रही है। रांची में तो 37 करोड़ कैश मिला है, आखिर अब उन पैसों का क्या होगा? आईये हम आपको विस्तार से बताते हैं। दरअसल प्रिवेन्शन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) कहता है कि वैसे रकम जो हेराफेरी या गबन कर जुटायी जाती है, वो मनी लांड्रिंग कहा जाता है।
मनी लॉन्ड्रिंग के मामलों में ईडी जब कोई संपत्ति या नकदी जब्त करती है तो अथॉरिटी को उसकी जानकारी देनी होती है।कानूनन ईडी को पैसे जब्त करने का अधिकार तो है, लेकिन वो इस बरामद नकदी को अपने पास नहीं रख सकती। इसलिए जब भी एजेंसी नकदी बरामद करती है तो आरोपी से उसका जरिया जाना जाता है। अगर आरोपी सोर्स नहीं बता पाता या ईडी उसके जवाब से संतुष्ट नहीं होती है तो इसे ‘बेहिसाब नकदी’ या ‘गलत तरीके’ से कमाई गई रकम माना जाता है।
ईडी इसकी पहली कार्रवाई PMLA के तहत नकदी को जब्त करने का करती है। नोट गिनने के लिए ईडी एसबीआई की टीम को बुलाती है। मशीनों से नोट गिने जाते हैं, फिर ईडी की टीम एसबीआई अधिकारियों की मौजूदगी में सीजर मेमो तैयार करती है। कितना कैश बरामद हुआ? किसके कितने नोट है, इसका पूरा विवरण तैयार होता है। इन नोटों को सील कर दिया जाता है।
सील करने और सीजर मेमो तैयार होने के बाद बरामद नकदी को एसबीआई की ब्रांच में जमा कराया जाता है। ये सारी रकम ईडी के पर्सनल डिपॉजिट (PD) अकाउंट में जमा की जाती है. इसके बाद इस नकदी को केंद्र सरकार के खजाने में जमा करा दिया जाता है। जब्त नकदी का इस्तेमाल न तो ईडी कर सकती है, न ही बैंक और न ही सरकार। जब्ती के बाद ईडी एक अटैचमेंट ऑर्डर तैयार करती है और संबंधित अधिकारी को छह महीने के भीतर जब्ती की पुष्टि करनी होती है।जब्ती की पुष्टि हो जाने के बाद और ट्रायल खत्म होने तक सारा पैसा बैंक में ही रहता है। इस दौरान इस रकम का इस्तेमाल कोई भी नहीं कर सकता। अगर आरोपी को दोषी करार दिया जाता है तो सारा पैसा केंद्र सरकार की संपत्ति बन जाती है. अगर आरोपी बरी हो जाता है तो सारा पैसा उसे लौटा दिया जाता है।