गोपालगंज। जब जेल के भीतर ही ऐश करने का पूरा तामझाम मौजूद हो, तो फिर कोई जेल जाने से क्यों डरे ? …और उपर से अगर कैदी कोई वर्दीवाला हो तो फिर सारी सुविधा तो ऐसी ही चरणों में लोटने लगती है। ऐसा ही मामला बिहार के गोपालगंज में सामने आया। जहां प्रभारी मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी मानवेंद्र मिश्रा जब अचानक से गोपालगंज के चनावे मंडल कारा निरीक्षण करने पहुंचे तो माजरा देखकर खुद दंग रह गये।

अस्पताल में पाक्सो एक्ट का एक आरोपी पुलिसवाला कैदी के वार्ड में नहीं, बल्कि जेल अस्पताल के गद्देदार बेड पर आराम फरमाता मिला। जबकि उसे उसे कोई खास बीमारी नहीं नहीं थी। निरीक्षण के दौरान यही नहीं सीजीएम ने और भी कई गड़बड़ी पकड़ी। अस्पताल निरीक्षण में तीन बंदी इलाजरत मिले। इनमें एक मानसिक रोगी, दूसरा गोली से घायल रोगी तो तीसरा पाक्सो एक्ट का आरोपित एक पुलिस अधिकारी था। जेल में बंद पुलिस अधिकारी को कोई गंभीर बीमारी नहीं थी। चिकित्सक तथा जेलर ने डायबिटीज दिखाकर उसे अस्पताल वार्ड में रखा था।जेल अधीक्षक को 15 दिनों के अंदर न्‍यायालय में सदेह उपस्थित होकर स्पष्टीकरण देना होगा। पूरे मामले से पटना उच्च न्यायालय, जिला एवं सत्र न्यायाधीश गोपालगंज एवं कारा महानिरीक्षक पटना को अवगत कराया जाएगा।

यही नहीं, निरीक्षण के दौरान जेलर सिविल ड्रेस में पाए गए। साथ ही जेल संतरी भी आने जाने वालों की इंट्री रजिस्टर पर मेंटन करते नहीं दिखे। निरीक्षण के दौरान प्रभारी सीजेएम ने पाया कि लगभग सभी शौचालय एवं स्नानागार काफी पुराने हैं। ये सभी क्षतिग्रस्त हो चुके हैं। शौचालय की टंकी भर गई है। इससे मलबा बाहर निकल रहा है। 27 अगस्त को उच्च न्यायालय, पटना के निरीक्षी न्यायाधीश ने सभी वार्डो में 10-10 अतिरिक्त शौचालय बनाने का निर्देश दिया था। उनके निर्देश के बावजूद अब तक यह कार्य नहीं हुआ।

पेयजल टंकी की सफाई कितने वर्ष या माह पूर्व हुई थी, इस संबंध में काेई जानकारी दर्ज नहीं मिली। पेयजल टंकी को देखने से प्रथमदृष्टया प्रतीत हो रहा था कि वर्षों से इसकी सफाई नहीं की गई है।मंडल कारा में बिजली आपूर्ति हेतु की गई भूमिगत वायरिंग खराब हो चुकी है। इसके जगह अस्थाई व्यवस्था कर विद्युत आपूर्ति की जा रही है। इस कारण कभी भी कोई अप्रिय घटना घट सकती है।

मंडल कारा में नियमित फागिंग (छिड़काव) नहीं होने के कारण मच्छर का प्रकोप लगभग हर वार्ड में दिखा। इससे बंदियों के बीच मच्छर जनित रोग फैलने की गंभीर आशंका है। महिला वार्ड में साथ रह रहे लगभग 10 बच्चों को गर्म कपड़े, मोजा, टोपी, स्वेटर, इत्यादि अविलंब उपलब्ध कराने की भी आवश्यकता है।

 वार्ड संख्या पांच से 10 तक के वार्ड के प्रथम एवं द्वितीय तल के बरामदे में बंदी सुरक्षा के दृष्टिकोण से लोहे का ग्रिल अथवा जाली का होना आवश्यक पाया गया। पूर्व में निरीक्षी न्यायाधीश ने इस संबंध में निर्देश दिया था, लेकिन अब तक इसका अनुपालन नहीं किया गया है। सुरक्षा में इस गंभीर चूक के कारण किसी दिन कोई बड़ी घटना हो सकती है।

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