धनबाद । स्वास्थ्य विभाग के पदाधिकारी जब अपने ही वरीय अधिकारी के आदेश का उलंघन करने लगे तो कर्मचारियों से अनुशासन और आदेश का पालन करने की सीख देना बेमानी होगा। इसका ताजा उदाहरण जिले के गोविंदपुर प्रखंड का है। जहां के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डा विशेश्वर कुमार ने सिविल सर्जन के आदेश का उलंघन कर तुगलगी फरमान वाला ड्यूटी रोस्टर जारी किया है, जिसकी हर तरफ चर्चाएं हो रही है।

क्या है मामला

मामला दरअसल सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र गोविंदपुर का है।जहां प्रसव गृह और एमटीसी का ड्यूटी रोस्टर चर्चा का विषय है। 16 जून को जारी आदेश में जिले के वरीय अधिकारी के आदेश की धज्जियां उड़ाई गई है। अब इसे जान बुझकर प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी का तुगलगी फरमान कहें या किसी खास मकसद से किसी खास कर्मी को फायदा पहुंचाने की मंशा !

कुछ दिन पूर्व जिले के सिविल सर्जन डा आलोक विश्वकर्मा ने गोविंदपुर में बैठक कर आदेश दिया था की प्रखंड भर के सारी ANM को प्रसव गृह में कार्य करना होगा, ताकि सभी इस कार्य में अधिक से अधिक ट्रेंड हो जाए और प्रसव के दौरान आने वाले विषम परिस्थिति का सामना करने के लिए तैयार हो सके। इसके लिए प्रखंड में SBA (स्किल बर्थ अटेंडर) प्रशिक्षित एएनएम इस कार्य में अधिक से अधिक योगदान देंगी परंतु इन आदेश को प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी ने बदल दिया है। इसके पीछे इनकी मंशा क्या है ये समझ से परे हैं।

क्या कहता है आदेश

विभागीय आदेश की मानें तो प्रसव गृह में दक्ष बनाने के लिए एएनएम को SBA प्रशिक्षण दिया गया है। जो पूर्व में 42 दिन और वर्तमान में 21 दिन का आवासीय प्रशिक्षण देकर सभी anm को प्रसव कार्य में दक्ष बनाया गया। विभागीय अधिकारी की मानें तो प्रसव गृह में SBA प्रशिक्षित कर्मी रोटेशन कर प्रसव कार्य करेंगी। परंतु प्रभारी ने ड्यूटी रोस्टर जारी कर इस नियम को बदल दिया। जो जिले भर में चर्चा का विषय बना हुआ है। इसके पीछे प्रभारी ने तर्क दिया कि जो एमटीसी में कार्य करने वाली एएनएम ही प्रसव गृह का कार्य सम्पादन करेंगी।

एमटीसी और प्रसव गृह की अलग अलग व्यवस्था

विभागीय आदेश के अनुसार एमटीसी में कुपोषित 6 वर्ष तक के बच्चों का उपचार किए जाने की व्यवस्था रहती है उनको चिकित्सक की निगरानी में पोष्टिक खाना देकर उनके कुपोषण का उपचार किया जाता है। वहीं प्रसव गृह में गर्भवती माता का सुरक्षित प्रसव कराया जाता है। दोनो कार्य के लिए विभाग द्वारा अलग अलग प्रशिक्षण और अलग अलग व्यस्था का निर्देश है, साथ ही दोनों के कार्य प्रणाली में कोई समानता नहीं है।

ऐसे में प्रभारी का विभागीय आदेश से अलग इस तर्क के साथ एमटीसी में कार्य करने वाली चार कर्मियों को ही प्रसव गृह में कार्य करने के योग्य मानना किसी खास मकसद की ओर इशारा कर रही है। मालूम हो की प्रसव गृह के लिए एएनएम की ड्यूटी स्थाई तौर पर लगाने का सख्त विरोध सिविल सर्जन और DRCHO द्वारा किया गया था। और तत्कालीन प्रभारी और बीपीएम को काफी फटकार भी लगाई थी।

क्या कहते हैं प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी

HPBL न्यूज से बात करते हुए प्रभारी डॉ विशेश्वर ने बताया है कि जब तक अन्य स्वास्थ्यकर्मियों की ट्रेनिंग नहीं हो जाती, तब तक के लिए ये रोस्टर लगाया गया है । उन्होंने कहा कि ये रोस्टर 15 दिन के लिए ही किया गया है। अगर ट्रेनिंग में देरी हुई, तो 20-25 दिन का अधिकतम रहेगा। लेकिन ये कहना कि ये परमानेंट रोस्टर लगाया गया है।

जिन एएनएम की ड्यूटी की लगायी गयी है कि वो MTC की ट्रेंड हैं, इसलिए उनकी ड्यूटी लगायी गयी है। ये संभव ही नहीं है कि मेरी तरफ से सविल सर्जन के निर्देश की अवहेलना हो। ये बात मैं कह सकता हूं कि मैं सिविल सर्जन को बाकी एएनएम के ट्रेनिंग का अनुरोध करूंगा, जितनी जल्दी ट्रेनिंग हो जायेगी, उनके बदले दूसरे को लेबर रूम और एमटीसी में ड्यूटी लगायी जायेगी। और जो भी अभी ड्यूटी रोस्टर में है, जिनका नाम आप बोल रहे हैं, उन्हें फील्ड में भेजा जायेगा।

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