रांची। राज्य गठन के बाद से अपने जीर्णोद्धार का बाट जोह रहे अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति, पिछड़ा वर्ग एवं अलपसंख्यक छात्रावासों के दिन बहुरने लगे हैं। टूटे- फूटे फर्श, बरसात में छत से टपकता पानी, जीर्ण शीर्ण खिड़की और दरवाजे, वर्षों से रंग रोगन को तरसते छात्रावासों के भवन कल की बात हो गई है। अब वो मंजर नहीं रहा। आधुनिक आधारभूत संरचनाओं से सुसज्जित आदिवासी छात्रावास नजर आने लगे हैं। जहां है चमचमाते फर्श, आखों को सुकून देने वाली दीवारों पर सजे रंग, स्वच्छ शौचालय, लाइब्रेरी, पानी और बिजली की व्यवस्था। ऐसे 593 छात्रावासों में से 234 छात्रावासों को नया स्वरूप मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन के आदेश के बाद प्रदान कर दिया गया है।

इनमें अनुसूचित जनजाति के 42, अनुसूचित जाति के 96, पिछड़ा वर्ग के 47 और 92 अल्पसंखयक छात्रावास शामिल हैं। वहीं, 221 छात्रावासों का जीर्णोद्धार का कार्य दो वर्ष में पूर्ण करना है। जबकि वित्तिय वर्ष 2022 -23 में 139 एवं 2023-24 में 82 छात्रावासों का जीर्णोद्धार कार्य प्रस्तावित है। छात्रावासों के नवीनीकरण के दौरान छात्रों के हितों को प्रथमिकता देते हुए निर्माण कार्य कराया जा रहा है।

छात्रावासों में अब अनाज, रसोईया और सुरक्षा की व्यवस्था करेगी सरकार

मुख्यमंत्री और विभागीय मंत्री चंपाई सोरेन के निर्देश के बाद कल्याण विभाग के छात्रावासों के जीर्णोद्धार का काम तो किया ही जा रहा है। साथ ही छात्रावासों में सुरक्षा प्रहरी एवं रसोईया की भी बहाली कराने का प्रबंध हो रहा है। मुख्यमंत्री ने रिक्त पड़े मानवबल को यथाशीघ्र भरने का आदेश दिया है। वर्तमान में कुल 90 सुरक्षा प्रहरी एवं रसोईया कार्यरत हैं। पूर्व की व्यवस्था के तहत कल्याण विभाग के इन छात्रावासों में रहने वाले छात्रों को अपने घर से अनाज ले जाना पड़ता था। लेकिन सरकार अब इन छात्रावासों में छात्रों के लिए अनाज भी उपलब्ध कराएगी। इसके लिए छात्रों को किसी तरह का शुल्क नहीं चुकाना होगा।

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